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One Nation One Election: जब एक साथ चुनाव के लिए समय से पहले ग‍िरा दी गई 7 राज्‍यों की सरकार

One Nation One Election: देश के इतिहास में दूसरे आम चुनाव साल 1957 में हुए थे। तब लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के लिए कई राज्यों की विधानसभाओं को समय से पहले भी भंग कर दिया था। एक देश एक चुनाव को लेकर कोविंद समिति की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है। इसमें यह भी बताया गया है कि यह फैसला किस तरह लिया गया था।
08:47 AM Mar 15, 2024 IST | Gaurav Pandey
one nation one election  जब एक साथ चुनाव के लिए समय से पहले ग‍िरा दी गई 7 राज्‍यों की सरकार
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One Nation One Election: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 'एक देश एक चुनाव' को लेकर बनाई गई समिति ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंप दी थी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने में करीब 191 दिन का समय लिया। इसमें लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए साझा मतदाता सूची बनाने की सिफारिश की गई है।

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इसके अलावा लोकसभा और विधानसभा एक साथ कराने के लिए संविधान में संशोधन की बात भी कही है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि देश में पहले भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ आयोजित किए जा चुके हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं 1957 के चुनाव के बारे में जब एक साथ चुनाव आयोजित कराने के लिए देश के 7 राज्यों की सरकार समय से पहले ही गिरा दी गई थी।

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क्यों लिया गया था एक साथ चुनाव का फैसला?

साल 1957 में भारत का दूसरा आम चुनाव हुआ था। इसे लेकर तैयार की गई एक रिपोर्ट में लिखी बातों का कोविंद की समिति ने अपनी रिपोर्ट में भी जिक्र किया है। इसमें कहा गया है कि अगर लोकसभा और विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं को अपना-अपना कार्यकाल पूरा करने दिया जाता तो उन्हें पुनर्गठित करने के लिए आम चुनाव अलग-अलग समय कराने पड़ते।

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ऐसे में यदि लोक सभा और विभिन्न राज्य विधान सभाओं को अपना-अपना कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दी जाती, तो उन्हें पुनर्गठित करने के लिए आम चुनाव अलग-अलग समय पर कराने पड़ते। ऐसे में, लोकसभा और विधानसभाओं, दोनों के लिए एक साथ पूरे देश में चुनाव कराना संभव नहीं होता।

इस स्थिति में तय किया गया कि दूसरा आम चुनाव मार्च 1957 के अंत तक पूरा किया जाए। जब भी जरूरी हो अस्तित्व में मौजूद विधानसभाओं को कार्यकाल पूरा होने से पहले भंग कर दिया जाना चाहिए, ताकि आम चुनाव के तुरंत बाद नवनिर्वाचित सदनों की बैठक हो सके।

सात राज्यों की विधानसभाएं समय से पहले भंग

इसके बाद सात राज्यों, बिहार, बॉम्बे, मद्रास, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की विधानसभाओं को उनका कार्यकाल पूरा होने से 2 से 3 महीने पहले ही भंग कर दिया गया था। रामनाथ कोविंद की समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि सदनों को भंग करने के लिए देश के निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों, केंद्र सरकार और राज्यों की सरकारों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद सबकी सम्मति के साथ यह फैसला लिया था।

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