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One Nation One Election: जब एक साथ चुने गऐ थे प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री और राज्यपाल, जानें किस्सा?

One Nation One Election Throwback Story: देश में पहले भी एक देश एक चुनाव के तहत इलेक्शन हो चुके हैं और ऐसा एक नहीं 4 बार हुआ। आजाद भारत के पहले 4 लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ हुए। इसके बाद इंदिरा गांधी और चौधरी चरण सिंह के कारण अलग-अलग लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए। यही प्रथा आज तक चल रही है।
10:40 AM Mar 15, 2024 IST | Khushbu Goyal
one nation one election  जब एक साथ चुने गऐ थे प्रधानमंत्री राष्ट्रपति  मुख्यमंत्री और राज्यपाल  जानें किस्सा
Election Voting One Nation One Election Campaign

One Nation One Election Throwback Story: लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले देश में एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) लागू हो गया है। अब 2029 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ कराए जा सकते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में पहले भी यह व्यवस्था लागू थी। देश में पहले भी 'वन नेशन वन इलेक्शन' के तहत चुनाव हो चुके हैं। एक साथ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, राज्यपाल, सांसद और विधायक चुने गए थे।

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ऐसा एक बार नहीं 4 बार हुआ था। जी हां, साल 1952, 1957, 1962 और 1967 में देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे, लेकिन इसके बाद विधानसभाओं के राजनीतिक उथल पुथल के चलते पहले भंग हो जाने से एक साथ चुनाव कराने का सिलसिला टूट गया और देश में अलग-अलग लोकसभा-विधानसभा चुनाव होने लगे।

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1971 में पहली बार समय से पहले लोकसभा चुनाव

इतिहास में दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार, साल 1971 में पहली बार लोकसभा चुनाव समय से पहले कराने की जरूरत पड़ गई थी। हालांकि चुनाव नियमानुसार 5 साल बाद 1972 में होने थे, लेकिन उस समय प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने बैंकों का नेशनलाइजेशन कर दिया था। उन्होंने पाकिस्तान का बंटवारा कराकर बांग्लादेश बनवाया था। कांग्रेस भी दोफाड़ हो रही थी।

वहीं उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी। इसलिए उन्होंने मौके का फायदा उठाते हुए मध्यावधि चुनाव करा दिए। गरीबी हटाओ का नारा देकर चुनावी रण में उतरीं। विरोधियों ने इंदिरा हटाओ का नारा दिया, लेकिन गरीबी हटाओ का नारा हावी हो गया और 18 मार्च 1971 को इंदिरा गांधी ने बतौर प्रधानमंत्री फिर से शपथ ग्रहण की।

राज्यों में इस वजह से टूटी एक चुनाव की प्रथा

1967 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 423 सीटों में से सिर्फ 198 सीटें मिली थीं, जबकि सरकार बनाने के लिए 212 सीटों का बहुमत चाहिए था। कांग्रेस ने 37 निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार बना ली और CP गुप्ता मुख्यमंत्री बने, लेकिन चौधरी चरण सिंह बागी हो गए। उनके कारण गुप्ता सरकार गिर गई।

चरण सिंह ने भारतीय जनसंघ और संयुक्त समाजवादी पार्टी का सहयोग लेकर सरकार बना ली, लेकिन गठबंधन में पदों को लेकर चली अनबन के कारण यह सरकार भी ज्यादा दिन नहीं चल पाई। चरण सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। विधानसभा भंग हो गई। नए सिर से चुनाव कराने पड़े और इस तरह उत्तर प्रदेश में अलग से विधानसभा चुनाव हुए। इसके बाद यह प्रथा दूसरे राज्यों में भी शुरू हो गई, जो आज तक चल रही है।

इन देशों में लागू है व्यवस्था

जर्मनी, हंगरी, स्पेन, पोलैंड, इंडोनेशिया, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका, स्लोवेनिया, अल्बानिया, स्वीडन और अब भारत

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