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कौन हैं पामेला गोस्वामी? जिन्होंने बंगाल सरकार के खिलाफ खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

Pamela Goswami plea in Supreme Court: पामेला ने अपने खिलाफ एनडीपीसी मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याची के अनुसार सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 16 मार्च 2023 को उन्हें एनडीपीएस मामले में बरी कर दिया था।
11:30 PM Mar 08, 2024 IST | Amit Kasana
कौन हैं पामेला गोस्वामी  जिन्होंने बंगाल सरकार के खिलाफ खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

Pamela Goswami plea in Supreme Court: भाजपा नेता पामेला गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। अपनी याचिका में उन्होंने NDPS मामले में अवैध हिरासत में रखने के खिलाफ बंगाल सरकार से मुआवजा दिलवाने की मांग की है। याचिका में पामेला के वकील ने अदालत को बताया कि न केवल पामेला को अवैध कस्टडी में रखा गया बल्कि उन्हें नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 की धारा 21 बी और 29 के तहत झूठे आरोपों का सामना करना पड़ा है।

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व्यक्तिगत और सार्वजनिक हानि हुई

पेश याचिका में कहा है कि वह भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) से जुड़ी हुई हैं। ऐसे में झूठे आरोपों से उन्हें व्यक्तिगत और सार्वजनिक रूप से काफी हानि हुई। इन सब आरोपों से उनकी प्रतिष्ठा को भारी नुकसान पहुंचा है। बता दें कि पामेला को साल 2021 से फरवरी 2023 तक पश्चिम बंगाल के अलीपुर में एनडीपीएस आरोपों के तहत आपराधिक कार्यवाही का सामना करना पड़ा था।

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दुर्भावनापूर्ण तरीके से की गई कार्रवाई

जानकारी के अनुसार पामेला ने अपने खिलाफ एनडीपीसी मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका के अनुसार सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 16 मार्च 2023 को उन्हें एनडीपीएस मामले में बरी कर दिया था। याचिका में कहा गया है कि अदालत ने उन्हें बेगुनाह मानते हुए पुलिस को उन पर दुर्भावनापूर्ण तरीके से कार्रवाई करने की बात मानी थी। उन्होंने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि पश्चिम बंगाल सरकार को उन्हें मुआवजा देने का निर्देश दिया जाए।

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स्पेशल परमिशन याचिका दायर की

हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी पामेला पर कानूनी कार्यवाही जारी रही। जिसके बाद पामेला ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की। 10 जनवरी, 2024 को राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ स्पेशल परमिशन याचिका दायर की थी। इस सब में उनका सामाजिक और आर्थिक नुकसान हुआ है। याची का कहना है कि कोर्ट ने उनके समक्ष में फैसला दिया।

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