कौन हैं पंक्ति पाण्डेय? इसरो की वैज्ञानिक को प्रधानमंत्री से मिला 'फेवरिट ग्रीन चैंपियन अवार्ड'
Who Is Pankti Pandey : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वैज्ञानिक पंक्ति पाण्डेय सस्टेनेबल लिविंग को लेकर काफी जागरूक हैं। वह अपने क्लीनर्स खुद बनाती हैं, अपना कचरा कंपोस्ट करती हैं, अपनी कटलरी खुद लेकर चलती हैं और खरीदारी करने के लिए प्लास्टिक की थैलियों की जगह कंटेनर्स का इस्तेमाल करती हैं। सतत जीवन और पर्यावरण के लिए कोशिशों के चलते उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल क्रिएटर अवार्ड्स के तहत 'फेवरिट ग्रीन चैंपियन अवार्ड' से नवाजा है।
पंक्ति पाण्डेय गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली हैं। उपलब्ध संसाधनों का सम्मान करना उन्होंने अपने परिवार से सीखा था। लेकिन इसे लेकर वह और गंभीर तब हुईं जब उनकी बेटी का जन्म हुआ। तब उन्होंने सोचना शुरू किया कि किस तरह हमारी भविष्य की पीढ़ियों को एक स्वच्छ पर्यावरण दिया जा सकता है। इसकी शुरुआत उन्होंने अपने घर और आदतों में बदलाव लाकर की। रिसाइकलिंग उनके लिए कभी भी विकल्प नहीं था। इसकी जगह वह रियूज और रिड्यूस को प्राथमिकता देती हैं।
किस तरह बदलीं अपनी आदतें
जब उन्होंने इस पर ध्यान देना शुरू किया तो देखा कि सबसे ज्यादा कचरा ग्रॉसरी बैग्स, क्लीनर व शैंपू की खाली बोतलों और किचन के कूड़े से होता है। यह देखते हुए उन्होंने ग्रॉसरी शॉपिंग के लिए प्लास्टिक बैग्स की जगह कंटेनर्स का इस्तेमाल करना शुरू किया। किचन के कचरे को उन्होंने खाद में बदलकर उसे अपने बगीचे में इस्तेमाल करने लगीं। इसके साथ ही उन्होंने अपने खुद के प्राकृतिक क्लीनर और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स भी बनाए ताकि खाली बोतलों की समस्या से छुटकारा मिल सके।
सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर भी हैं
इसको में वैज्ञानिक होने के साथ-साथ पंक्ति एक इंफ्लुएंसर भी हैं। उनका इंस्टाग्राम हैंडल डीआईवाई वीडियोज से भरा हुआ है जिनकी मदद से आप अपना जीवन अधिक सतत और इको-फ्रेंडली बना सकते हैं। पंक्ति ने सस्टेनेबिलिटी को लेकर इंस्टाग्राम पर जानकारियां कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान शेयर करना शुरू किया था। वह कहती हैं कि लॉकडाउन के दौरान मुझे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स यूज करने का समय मिला। यहां शेयर किया जा रहा अधितर कंटेंट कंजम्पशन को बढ़ावा देने वाला था।
वह कहती हैं कि महामारी के दौरान भी लोग सोशल मीडिया पर कंजम्पशन की विचारधारा को प्रोत्साहित कर रहे थे। यह देख उन्हें अपनी आदतों और सस्टेनेबिलिटी के सरल व आसान तरीकों को ऑनलाइन शेयर करने का विचार आया। इंफ्लुएंसर के तौर पर सफर की शुरुआत में ही उन्हें लोगों से खूब तारीफ मिली और लोगों ने उनसे और टिप्स शेयर करने को भी कहा। उन्होंने महसूस किया कि इस प्लेटफॉर्म की ताकत का इस्तेमाल सस्टेनेबिलिटी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए किया जा सकता है।
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