लाइसेंस नहीं बनता तो मनु भाकर कैसे जीतती ओलंपिक मेडल? मां-बाप ने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सुनाई कहानी
Manu Bhaker Parents Exclusive Interview: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय शूटर मनु भाकर ने 2 ब्रॉन्ज मेडल जीतकर पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया। मनु भाकर ने पहले 10 मीटर पिस्टल सिंगल कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता, फिर 10 मीटर पिस्टल मिक्सड कैटेगरी में सरबजोत सिंह के साथ मिलकर ब्रॉन्ज मेडल जीता। मनु भाकर के मेडल जीतने की खबर जैसे ही उसके घर पहुंची, जश्न का माहौल बन गया। ढोल नगाड़े बजे, मिठाइयां बंटी। बधाई देने वालों का तांता लगा। मनु के पिता रामकिशन भाकर और मां सुमेधा भाकर खुशी के मारे फूले नहीं समा रहे। News24 की रिपोर्टर दिव्या अग्रवाल भी मनु भाकर की खुशी बांटने उनके घर पहुंची और उनसे खास बातचीत की। आइए सुनते हैं कि मनु भाकर के पिता का एक्सक्सलूसिव इंटरव्यू...
मां ने सुनाई लाइसेंस नहीं बनने की कहानी
मां सुमेधा भाकर ने कहा कि हम मैच नहीं देखते, इसलिए आज सोचा था कि मीडिया से बाद में मिलेंगे। जब तक कोई शुभ समाचार नहीं आएगा, दरवाजा नहीं खोलेंगे। जमीन पर बैठकर ध्यान करने लगी थी। पड़ोसन ने बताया कि मनु ने मेडल जीत लिया तो जो खुशी हुई, वह उसके पिता के गले लगकर बांटी। वह एक अलग ही पल था, मनु ने कमाल कर दिया। दोनों बच्चों मनु सरबजोत के लिए प्रार्थना की। दोनों ने कड़ी मेहनत करके यहा मुकाम पाया था। उन्होंने कहा कि बहुत बच्चे जो मेहनत छोड़कर निराश हो जाते हैं। घर बैठ जाते हैं, मनु ने कई गेम खेले, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। फिर भी उसने हार नहीं मानी।
पिता से बोली कि सभी गेम खेलकर बोर हो गई हूं, कुछ नया ट्राई करती हूं। पिता बोले कि स्कूल में शूटिंग रेंज है, देख लो। वह साथ चली गई तो अनिल जाखड़ से मिली। उन्होंने मनु को डमी पिस्टल दी, जिससे उसने निशाना लगाया और वह टारगेट पर लगा। इसके बाद मनु ने शूटिंग में कदम रखा और पहला मेडल मुन का अनिल जाखड़ को समर्पित किया। फिर पिस्टल खरीदी, लेकिन काफी चक्कर काटने के बाद भी लाइसेंस नहीं बना। चरखी दादरी से झज्जर तक जाना, लेकिन फाइल नहीं बनती थी, लेकिन मीडिया वालों की मदद से वह काम हो गया था, जिसकी नतीजा आज सभी देख रहे हैं।
पिता ने सरकार के सामने रखी कुछ मांगें
पिता रामकिशन भाकर बोले कि मनु के मेडल जीतने की खुशी के अहसास को अहसास ही रहने देना चाहता हूं। पड़ोसन के बताने पर न्यूज देखी तो यकीन हुआ कि मनु ने दूसरा मेडल जीता है। 5 मिनट बाद ही घर के बाहर मीडिया इकट्ठा हो गया। सोसायटी के लोग ढोल नगाड़े लेकर आए गए। मनु पहले पूरे देश से बात करती है। हमारा नंबर आखिर में आता है। वह सिर्फ हालचाल जानने और खाना वगैराह पूछने के लिए ही फोन आता है। पिता ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री मोदी सबसे बड़ी मदद करते हैं कि वे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने मनु से फोन करके बात भी की थी।
जो खिलाड़ी शुरुआत करते हैं, अगर उनको ग्रास रूट पर कैश अवार्ड और कोचिंग मिल जाए, किट मिल जाए तो वह बहुत बड़ी मदद होगी। क्योंकि नर्सरी के चक्कर में फंसकर खिलाड़ियों का समय बर्बाद होता है। चाहे किसी भी लेवल पर मेडल जीता हो, उन्हें अगर समय रहते कैश अवार्ड मिल जाए तो उन्हें काफी प्रोत्साहन मिल जाता है। शूटिंग बहुत महंगा गेम है, खर्च होने के चलते मां-बाप खर्च नहीं उठा पाते, लेकिन कैश अवार्ड मिल जाए तो मदद मिल जाएगी। हरियाणा में शूटिंग रेंज नहीं है, दिल्ली जाना पड़ता है। अगर हरियाणा में शूटिंग रेंज बन जाए तो दिल्ली जाना नहीं पड़ेगा, क्योंकि हर कोई वहां तक नहीं पहुंच पाता।