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यह मेरा सौभाग्य था कि...अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर भावुक हुए पीएम मोदी, शेयर किया इमोशनल पोस्ट

PM Modi's Emotional Tribute to Atal Bihari Vajpayee on His Birth Anniversary: आज यानी 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती मनाई जा रही है। ऐसे में पीएम मोदी भी अटल जी को याद करके भावुक हो उठे हैं।
10:08 AM Dec 25, 2024 IST | Sakshi Pandey
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PM Modi on Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की जयंती पर पीएम मोदी भावुक हो गए हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में ही नरेंद्र दामोदार दास मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। पीएम मोदी हमेशा से अटल जी के काफी करीब रहे हैं। अटल जी के सानिध्य में पीएम मोदी ने सियासत के गुण सीखे। ऐसे में अटल जी की जयंती पर लंबा-चौड़ा नोट शेयर करते हुए पीएम मोदी ने लिखा कि यह मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे उनका भरपूर आशीर्वाद मिला।

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उन्हें किसी से डर नहीं लगता था- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने अटल जी की कुछ पंक्तियां शेयर करते हुए लिखा कि मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं...लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं? अटल जी के यह शब्द कितने साहसी हैं। अटल जी, कूच से कभी नहीं डरे...उन जैसे व्यक्तित्व को किसी से डर लगता भी नहीं था। वो कहते थे जीवन बंजारों का डेरा आज यहां, कल कहां कूच है, कौन जानता किधर सवेरा? अगर आज वो हमारे बीच होते तो अपने जन्मदिन पर नया सवेरा देख रहे होते।

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जब उन्होंने मुझे गले लगाया- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अपनी यादें साझा करते हुए कहा कि मैं वो दिन नहीं भूलता जब उन्होंने मुझे अपने पास बुलाकर अंकवार में भर लिया था और जोर से पीठ में धौला जमा दिया। वो स्नेह, अपनत्व, प्रेम...मेरे जीन का बहुत बड़ा सौभाग्य रहा है। आज 25 दिसंबर का ये दिन भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस के लिए सुशासन का अटल दिवस है। आज पूरा देश अपने भारत रत्न अटल जी को याद कर रहा है।

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अटल जी के कार्यकाल में क्या हुए बदलाव?

पीएम मोदी ने अटल जी के कार्यकाल की खूबियां गिनवाते हुए लिखा कि वो ऐसे नेता थे, जिनका प्रभाव आज तक अटल है। वो भारत के परिकल्पना पुरुष थे। उनकी सरकार ने देश को आईटी, टेलीकम्यूनिकेशन और दूरसंचार की दुनिया में तेजी से आगे बढ़ाया। वाजपेयी जी की सरकार में दूर-दराज के इलाकों को बड़े शहरों से जोड़ने का सफल प्रयास किया गया। उनकी सरकार में जिस स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की शुरुआत हुई, उसने आज भी कई महानगरों को एक सूत्र में पिरोया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से लेकर दिल्ली मेट्रो, वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट जैसी पहल ने ना सिर्फ देश को आर्थिक प्रगति दी बल्कि नई शक्ति भी प्रदान की।

कमाल के वक्ता थे अटल जी

अटल जी की बोलने की कला की सराहना करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वो लोगों को अपनी तरफ खींच लेते थे। कविताओं और शब्दों में उनका कोई जवाब नहीं था। विरोधी भी अटल जी के भाषण के मुरीद थे। संसद में कहा गया उनका यह वाक्य - सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिए। आज भी मंत्र की तरह हमारे मन में गूंजता है।

इस्तीफा देकर दोबारा जनमत हासिल किया

पीएम मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए अटल जी ने विपक्ष की आलोचनाओं का जवाब हमेशा बेहतरीन तरीके से दिया। उन्हें सत्ता की लालसा नहीं थी। 1996 में जोड़-तोड़ की राजनीति न चुनकर उन्होंने इस्तीफा देने का रास्ता चुना। राजनीतिक षड्यंत्रों के कारण 1999 में उन्हें सिर्फ 1 वोट के अंतर के कारण पद से इस्तीफा देना पड़ा। अगले चुनाव में उन्होंने मजबूत जनादेश के साथ वापसी की।

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