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राहुल गांधी जानते थे स्पीकर चुनाव में हारना तय है, फिर वही हुआ, ध्वनि मत से बिखर गया विपक्ष

New Lok Sabha Speaker Om Birla: संसद में नए लोकसभा स्पीकर का चयन हो चुका है। ओम बिरला को जिम्मेदारी मिली है। नई सरकार के गठन के बाद से इस पद को लेकर विपक्ष काफी कोशिशें कर रहा था। स्पीकर का पद बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। पिछले 3 दिन से कांग्रेस चयन को लेकर रणनीति बना रही थी।
03:55 PM Jun 26, 2024 IST | Parmod chaudhary
राहुल गांधी जानते थे स्पीकर चुनाव में हारना तय है  फिर वही हुआ  ध्वनि मत से बिखर गया विपक्ष
राहुल गांधी।

New Lok Sabha Speaker Om Birla in Parliament Session 2024: देश में इस समय नई सरकार का गठन हो चुका है। नरेंद्र मोदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बने हैं। लेकिन चर्चा का विषय इस बार उनकी सरकार का कोई निर्णय नहीं, बल्कि विपक्ष की आवाज है। जो स्पीकर चुनने के मुद्दे पर एक हो चुकी है। जिसका नेतृत्व इस बार राहुल गांधी कर रहे हैं। स्पीकर का पद कितना महत्वपूर्ण है? इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार एक वोट से गिराने का पूरा दारोमदार स्पीकर को ही दिया जाता है। कहीं न कहीं विपक्ष ने इस बार भी भविष्य में वही 1998 की कहानी दोहराने के लिए स्पीकर के चुनाव को 3 दिन से इतना महत्वपूर्ण बना दिया कि खुद भाजपा के चाणक्य ने भी कमेटी बनाकर एनडीए को एक होने और विपक्ष को शांत कराने के लिए प्रयास तेज करने पड़े। जिसकी जिम्मेदारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को दी गई थी।

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स्पीकर चुनाव महत्वपूर्ण था, इसलिए सबने खूब जोर लगाया। हालांकि राहुल गांधी जानते थे कि वो ये चुनाव हार जाएंगे, क्योंकि भाजपा के पास पूर्ण बहुमत से ज्यादा यानी 392 सांसद हैं। जबकि इंडिया गठबंधन मिलकर भी 272 के आंकड़े को पार नहीं कर सका है। लेकिन स्पीकर चुनाव में मिली हार के बावजूद भी राहुल गांधी ने जोरदार प्रदर्शन किया। 26 जून को जैसे ही 11 बजे वोटिंग के लिए सदन में सभी उपस्थित हुए। उसी दौरान 30 सेकंड तक भाजपा का गठबंधन डेस्क को हाथों से ठोंकता रहा और फिर बिना चर्चा के ध्वनि मत से विपक्ष बिखर गया या यूं कहें कि विपक्ष का स्पीकर प्रत्याशी चुनाव हार गया।

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वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव कहते हैं कि विपक्ष पहले ही दिन से असफल प्रयास कर रहा था। जिस विषय में विपक्ष को पूरी जानकारी थी। उसके लिए भी वो नौटंकी कर रहे थे। राहुल गांधी अच्छे नेता हैं, उन्हें बतौर विपक्षी नेता स्पीकर को स्वीकार कर लेना चाहिए था। इससे कटुता नहीं पैदा होती। लेकिन उन्होंने खुद को जीता हुआ दिखाने के लिए इतनी हवा बांध ली, फिर वो पीछे हट गए। अगर उन्हें लड़ना होता तो वो ध्वनि मत का भी विरोध करते। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि उन्हें ऐसा करना ही नहीं था। राहुल गांधी समन्वय करते तो वो चमक जाते।

हर एक सदस्य की आवाज सुनी जाए-राहुल गांधी

स्पीकर का चुनाव जीतने के बाद राहुल गांधी ने कहा मेरा मकसद सिर्फ इस संसद को ठीक से चलने पर है। हर एक व्यक्ति हर एक सदस्य की आवाज सुनी जाए। पीएम मोदी ने कहा कि ये संसद दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रतीक है। हमें इसे बनाना होगा।

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