अजमेर दरगाह की जगह था शिव मंदिर! क्यों शुरू हुआ विवाद? जानें पूरा मामला
Rajasthan Ajmer Dargah Controversy: संभल की शाही जामा मस्जिद के बाद राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह भी काफी सुर्खियों में है। इस दरगाह को लेकर अदालत में याचिका दायर हुई है, जिसमें दावा किया गया है कि अजमेर दरगाह वास्तव में एक प्राचीन शिव मंदिर है। शिव मंदिर के अवशेषों पर इस दरगाह की नींव रखी गई है। अदालत ने याचिका पर सुनवाई के लिए 20 दिसंबर की तारीख दी है। तो आइए जानते हैं कि आखिर यह पूरा मामला क्या है?
अजमेर दरगाह पर क्या है दावा?
एडवोकेट योगेश सुरोलिया ने अदालत में याचिका दायर करते हुए बिलास सारदा की 1911 की किताब 'अजमेर: हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव' का हवाला दिया है। इस किताब में दरगाह की जगह शिव मंदिर होने का जिक्र मिला है। किताब के अनुसार अजमेर दरगाह की जगह पहले एक प्राचीन शिव मंदिर हुआ करता था, जिसे तोड़ दिया गया। अजमेर दरगाह बनाने में इसी शिव मंदिर के अवशेषों का इस्तेमाल किया गया था।
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क्यों शुरू हुआ विवाद?
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने इसी साल सितंबर के महीने में अजमेर दरगाह केस से जुड़ी याचिका अदालत में दायर की थी। मगर इस पर सुनवाई नहीं हो सकी। अदालत ने याचिका के साथ सबूत पेश करने के आदेश दिए। याचिकाकर्ताओं ने 38 पन्नों का सबूत अदालत के सामने रख दिया, जिन्हें देखकर अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली और 20 दिसंबर को इस पर सुनवाई की तारीख दे दी है।
Rajasthan: A lower court has accepted a petition that refers to the Ajmer Sharif Dargah as a Hindu temple. The next hearing will be on December 20. The petition, filed by the Hindu Sena, claims that the dargah was originally a Shiva temple. Syed Sarwar Chishti, the secretary of… pic.twitter.com/1pAYwcO96j
— IANS (@ians_india) November 27, 2024
मुस्लिम पक्ष की राय
अजमेर दरगाह की देखभाल करने वाली अंजुमन मोइनिया फकीरा कमेटी के सचिव सय्यद सरवर चिश्ती का कहना है कि हिंदू पक्ष के आरोप पूरी तरीके से बेबुनियाद हैं। इस तरह के दावे देश में सांप्रदायिक शांति को भंग कर सकते हैं। मक्का और मदीना के बाद यह दरगाह मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद अहम मानी जाती है। इस तरह के कदम से पूरी दुनिया के मुस्लिमों को ठेस लगी है।
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