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300 में से 310 और 315 नंबर! राजीव गांधी यूनिवर्सिटी के रिजल्ट ने चौंकाया

Rajiv Gandhi University Result Controversy: राजीव गांधी यूनिवर्सिटी में नर्सिंग कोर्स के रिजल्ट में ऐसा खेला हो गया कि स्टूडेंट्स का मजाक ही बन गया। रिजल्ट देखकर भड़के स्टूडेंट्स ने यूनिवर्सिटी प्रशासन का लिखित शिकायत दी, जिसके बाद रिजल्ट अपडेट करके दोबारा अपलोड किया गया, लेकिन अफसरों की लापरवाही ने स्टूडेंट्स का करियर बर्बाद करने की पूरी तैयारी की रखी थी।
07:22 AM Mar 09, 2024 IST | Khushbu Goyal
300 में से 310 और 315 नंबर  राजीव गांधी यूनिवर्सिटी के रिजल्ट ने चौंकाया
Rajiv Gandhi University Bengaluru Result Controversy

Rajiv Gandhi University Bengaluru Result Controversy: 300 में से एक स्टूडेंट के 310 नंबर आए और दूसरे स्टूडेंट ने 315 नंबर लिए। चौंक गए जानकर, ऐसा कैसे हो सकता है? लेकिन ऐसा हुआ है और यह कमाल किया है, राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RGUHS) बेंगलुरु के रिजल्ट डिपार्टमेंट ने।

वहीं जब रिजल्ट जारी हुआ तो नंबर देखकर स्टूडेंट्स के होश उड़ गए। रिजल्ट BSC नर्सिंग के दूसरे सेमेस्टर का था, जिसके एग्जाम जनवरी 2024 में हुए थे। रिजल्ट देखकर छात्र भड़क गए और उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को शिकायत देकर कहा कि क्या हमारे साथ मजाक किया जा रहा है?

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यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार ने सफाई में यह बयान दिया

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मामला सामने आने के बाद रिजल्ट तुरंत रोक दिया गया। इसके बाद रातों-रात रिजल्ट अपडेट करके वेबसाइट पर अपलोड किया गया, लेकिन इसमें भी खेल हुआ। जिस छात्र के 275 अंक थे, वह रातों-रात घटकर 227 हो गए, हालांकि ग्रेड वही रहा, लेकिन नंबर कम होने छात्र निराश हो गए।

यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार (मूल्यांकन) रियाज बाशा ने मामले में सफाई देते हुए कहा कि गलती से कुछ इंटरनल इवैल्युएशन के नंबर आखिरी स्कोर में जोड़ दिए थे। जैसे ही मामला संज्ञान में आया, रिजल्ट वापस लिया गया और उसे सही करके नए मार्क्स जारी कर दिए गए। वेबसाइट पर भी अपडेट कराए गए हैं।

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पहली बार सेमेस्टर सिस्टम से लिए गए एग्जाम

रजिस्ट्रार ने कहा कि सभी कॉलेजों के प्राचार्यों की इमरजेंसी बैठक बुलाई गई थी और सुनिश्चित किया गया कि रिजल्ट को अपडेट करके वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। जो छात्र उत्तीर्ण हुए हैं, वे उत्तीर्ण ही रहेंगे और जो असफल हुए हैं, वे असफल हो गए हैं। बेशक कुछ छात्रों के नंबर कम हुए हैं, लेकिन नतीजों का फाइनल आउटपुट वही रहेगा।

यह पहली बार है कि हम एनुअल सिस्टम से सेमेस्टर सिस्टम की दिशा में आगे बढ़े हैं। कुछ बदलाव हुए हैं, लेकिन नया सिस्टम होने की वजह से मानवीय चूक हो गई, जिसे दुरुस्त कर दिया गया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन अपने स्टूडेंट्स की समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है।

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