क्रॉस वोटिंग करने पर 14 विधायकों को कांग्रेस ने कर दिया था निष्कासित, क्या इस बार भी होगा ऐसा?
Rajya Sabha Election 2024 Congress MLAs Cross Voting: राज्यसभा चुनाव में 27 फरवरी को जमकर क्रॉस वोटिंग देखने को मिली। उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की। आठवें उम्मीदवार की जीत सपा विधायकों के क्रॉस वोटिंग की वजह से हुई। ऐसा ही हिमाचल प्रदेश में भी देखने को मिला, जहां 25 विधायकों के बावजूद बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को हराने में कामयाब रहे। दोनों को 34-34 मत मिले, जिसके बाद विजेता का फैसला ड्रॉ के जरिए किया गया। हर्ष के पक्ष में 9 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। इसमें 6 कांग्रेस और 3 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। क्रॉस वोटिंग ने कांग्रेस का पूरा खेल बिगाड़ दिया। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं....
क्रॉस वोटिंग की वजह से पारित किया गया दल-बदल विरोधी कानून
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि भारत में क्रॉस वोटिंग सालों से हो रही है। इसकी वजह से ही दल-बदल विरोधी कानून पारित किए गए। इसके बावजूद यह अभी भी जारी है। कुरैशी ने कहा कि यह भारतीय राजनीति का काला और दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष है। उन्होंने कहा कि अगर राजनीति में नैतिकता होती तो क्रॉस वोटिंग नहीं होती।
Himachal Pradesh
Congress : 40 MLAs
BJP : 25 MLAsWinner : Harsh Mahajan
Loser : Abhishek Manu SinghviCross voting is allowed. The one introspecting here should be Congress which didn't vote for him. The clown is instead giving gyaan to BJP. pic.twitter.com/v8WBIQaWGx
— BALA (@erbmjha) February 27, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने मतपत्र को पार्टी एजेंट को दिखाने का सुनाया था फैसला
एसवाई कुरैशी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि मतपत्र को पार्टी द्वारा नामित एजेंट को दिखाया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत का मानना था कि खरीद-फरोख्त यानी हार्स ट्रेडिंग मतपत्र की गोपनीयता से समझौता करने से भी ज्यादा खराब है। मतपत्र को पोलिंग एजेंट को दिखाया जाने का मकसद यह था कि यह पता चल सके कि किसने दलबदल किया है और किसने पैसे लिए हैं।
BJP won 8th RS seat in UP
7 SP MLAs cross voting. Setback to Akhilesh pic.twitter.com/bEdEYhZwnj https://t.co/yvvmMfZ4Tg
— Varun (@varunmayu) February 27, 2024
गुजरात में कांग्रेस ने 14 विधायकों को किया था निष्कासित
बता दें कि यह पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग की वजह से नुकसान उठाना पड़ा है। अगस्त 2017 में, सोनिया गांधी के सबसे भरोसेमंद सहयोगी अहमद पटेल को गुजरात में क्रॉस वोटिंग करने की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। हालांकि, इसके बावजूद अहमद पटेल जीत हासिल करने में कामयाब रहे, क्योंकि चुनाव आयोग ने दोनों विधायकों के वोट को यह कहकर रद्द कर दिया कि उन्होंने अपना मतपत्र बीजेपी नेताओं को दिखाए थे। बाद में, कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए 14 विधायकों को निष्कासित कर दिया था।
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हिमाचल प्रदेश में क्या कांग्रेस अपने 6 विधायकों को निष्कासित करेगी?
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा में बहुमत के बावजूद क्रॉस वोटिंग की वजह से कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही, उसकी सरकार पर भी संकट के बादल छा गए हैं। कांग्रेस के 6 विधायकों ने बीजेपी के पक्ष में वोट किया। अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस 2017 की तरह इस बार भी विधायकों को निष्कासित करने का जोखिम उठा पाएगी या नहीं, क्योंकि विपक्ष मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है।
#WATCH | Himachal Pradesh LoP Jairam Thakur says, "We have a doubt that the Vidhan Sabha Speaker can suspend BJP MLAs to comfortably pass the Budget. Some MLAs of Congress have got notices who have voted in the Rajya Sabha elections...Cross voting is not invalid in Rajya Sabha,… pic.twitter.com/SpDiU6F1uJ
— ANI (@ANI) February 28, 2024
1998 का राज्यसभा चुनाव
साल 1998 में हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार राम प्रधान को क्रॉस वोटिंग की वजह से हार का सामना करना पड़ा था। इस हार का जिम्मेदार शरद पवार को माना गया, जो उस समय लोकसभा में विपक्ष के नेता थे। कहा गया कि पवार ने राम प्रधान की उम्मीदवारी का विरोध किया था। इसलिए वे हार गए। इसके साथ ही कांग्रेस ने 10 विधायकों और प्रफुल्ल पटेल समेत पवार के सहयोगियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इतना ही नहीं, उन्हें 1999 में हुए विधानसभा चुनाव में टिकट से भी वंचित कर दिया गया। माना जाता है कि इन्ही घटनाओं घटना से आहत होकर शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन किया था।
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