7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट का वो सफर, जिसने भारत के नाम रच दिया इतिहास
Rakesh Sharma in Space: 3 अप्रैल 1984...ये वही तारीख है जब आजाद भारत का झंडा पहली बार अंतरिक्ष में फहराया था। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने आज ही के दिन स्पेस में कदम रखा था। 8 दिन अंतरिक्ष में गुजारने के बाद जब उन्होंने वापसी की, हर किसी का सर गर्व से उठ गया था। इस ऐतिहासिक दिन को आज 40 साल हो चुके हैं। तो आइए हम आपको राकेश शर्मा से जुड़ी कुछ रोचक बाते बताते हैं।
21 साल में थामा वायुसेना का हाथ
13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में जन्में राकेश शर्मा की विज्ञान में शुरू से ही काफी दिलचस्पी थी। हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन करने के बाद राकेश शर्मा ने 1966 में NDA की परीक्षा दी और 1970 में भारतीय वायुसेना का हिस्सा बन गए। अगले ही साल भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया और राकेश शर्मा ने मिग एयरक्राफ्ट में उड़ान भरकर दुश्मन के दांत खट्टे कर दिए।
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As #India charters it path towards the #Gaganyaan Mission, on this day, we remember the heroic space flight undertaken by then Sqn Ldr Rakesh Sharma.
The first Cosmonaut of India, Sqn Ldr Rakesh undertook his space journey on this day, 40 years ago.#सारे जहाँ… pic.twitter.com/Svcm1Gm1uG— Indian Air Force (@IAF_MCC) April 3, 2024
अंतरिक्ष पहुंचे राकेश शर्मा
भारत-पाक युद्ध के बाद राकेश शर्मा के शौर्य के किस्से हर तरफ होने लगे। इसी बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने राकेश शर्मा को अंतरिक्ष में भेजने का फैसला किया। ISRO और सोवियत संघ के सहयोग से राकेश शर्मा रूसी यान में बैठकर अंतरिक्ष पहुंचे। अंतरिक्ष में सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताने के बाद राकेश शर्मा ने धरती पर वापसी की थी।
इंदिरा गांधी ने पूछा सवाल
अंतरिक्ष में कदम रखने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से एक बेहद दिलचस्प सवाल पूछा, जिसका जवाब सुनकर हर भारतीय का दिल रोमांचित हो उठा था। राकेश शर्मा से फोन कॉल के दौरान इंदिरा गांधी ने पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है? जिसका जवाब देते हुए राकेश शर्मा ने सिर्फ एक लाइन में कहा- सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा।
अशोक चक्र से किया सम्मानित
राकेश शर्मा को देश के सर्वोच्च सम्मानों में से एक अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर के पद से रिटायर होने के बाद उन्होंने हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में सेवा दी।