4 साल के बच्चे को जिंदा जलाया, कोर्ट ने फांसी का फरमान सुनाया; जानें क्यों हैवान बना था शख्स?
Death Penalty in Rarest of Rare Case: छत्तीसगढ़ में 4 साल के बच्चे को जिंदा जलाकर मारने वाले व्यक्ति को फांसी की सजा सुनाई गई है। उसे आखिरी सांस छूटने तक फंदे पर लटकाए रखने का आदेश कोर्ट ने दिया है। रायपुर की अदालत ने Rarest of Rare केस में सजा का ऐलान किया। दोषी का नाम पंचराम गेंड्रे है, जिसने 4 साल के हर्ष चेतन को पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला दिया, क्योंकि उस बच्चे की मां उसे पंचराम को नजरअंदाज करती थी।
इसका बदला लेने के लिए उसने यह खौफनाक कदम उठाया। 46 साल बाद रायपुर में किसी केस में सुनाई गई पहली मौत की सजा है। वहीं सजा सुनाते हुए जज ने कहा कि ऐसे केसों में उदारता दिखाने से अपराधियों का हौसला बढ़ेगा और न्याय व्यवस्था को कायम रखने में न्यायपालिका की भूमिका कमजोर होगी। अपराधी को किए का पछतावा नहीं है, इसलिए उसे फांसी की सजा सुनाई जाती है।
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घुमाने के बहाने ले जाकर मार दिया
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जांजगीर-चांपा जिला निवासी जयेंद्र चेतन अपनी 29 वर्षीय पत्नी पुष्पा चेतन और 2 बच्चों के साथ रायपुर के उरला थाना क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 4 में अशोक बघेल के मकान में रहता था। 5 अप्रैल 2022 को उसने पुलिस को दी शिकायत बताया कि उसका पड़ोसी पंचराम गेंड्रे उसके बच्चों दिव्यांश (5) और हर्ष (4) को सुबह करीब 9.30 बजे मोटरसाइकिल पर घुमाने के लिए ले गया।
पुष्पा के बुलाने पर दिव्यांश वापस लौट आया, लेकिन हर्ष ने बाइक की एक और सवारी करने पर जोर दिया, लेकिन पंचराम ने पहले से रची साजिश के अनुसार नेवनारा और अकोलिखार गांवों के बीच एक सुनसान इलाके में हर्ष की हत्या कर दी। उसने पेट्रोल खरीदकर और हर्ष पर छिड़ककर उसे आग के हवाले कर दिया। जब हर्ष वापस नहीं लौटा तो तलाश करते हुए पुलिए को हर्ष की जली हुई लाश मिली। जयेंद्र ने पंचराम पर हत्या करने का शक जताया तो पुलिस ने उसकी तलाश की।
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बच्चे की मां को सिखाना था सबक
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केस की जांच DSP सुरेश कुमार ध्रुव और थाना प्रभारी भरतलाल बरतेह ने की। मुखबिर की सूचना पर पंचराम को दबोचा गया। पूछताछ करने पर उसने बताया कि वह पुष्पा को पसंद करता है, लेकिन जब वह उससे बात करने की कोशिश करता था तो वह नजरअंदाज कर देती थी। उसे गुस्सा आ गया और उसने उसके बच्चों को मारकर सबक सिखाने का फैसला किया। उसने 2 लीटर पेट्रोल खरीदा। दिव्यांश को पुष्पा ले गई थी, लेकिन हर्ष उसके पास था तो उसने उसे मार दिया।
वारदात के बाद पंचराम नागपुर भाग गया था, जहां वह 2 दिन रहा, लेकिन पुलिस ने उसे उसकी मां के मोबाइल फोन से ट्रैक किया। उसने नागपुर भागने से पहले दुर्ग में अपनी मोटरसाइकिल 25000 रुपये में बेच दी थी और 15000 रुपये एडवांस ले लिए थे। वहीं जयेंद्र चेतन ने बताया कि पंचराम उनकी इमारत में ही रहता था और बच्चों के लिए चाचा की तरह था। अक्सर उन्हें मिठाइयां देता था। उसकी हरकतों पर कभी शक नहीं हुआ, लेकिन उसकी एक हरकत ने परिवार को तबाह कर दिया। बेटे की मौत से पत्नी का सदमा लगा और वह बीमार पड़ गया। उसका इलाज कराते-कराते वह कर्जदार हो गया और अपने शहर जांजगीर-चांपा लौट आया।
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