Exclusive: जान बचाने की कोशिश और 'ॐ नमः शिवाय' का जाप; बेसमेंट से निकले आखिरी छात्र ने सुनाया तान्या-श्रेया का आंखों देखा हाल
Delhi Coaching Accident What Happened inside Basement: राव कोचिंग हादसे में 3 छात्रों की मौत का जिक्र अभी भी लोगों की जुबां पर है। उस शाम को बेसमेंट में क्या हुआ? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हर कोई बेताब है? बेसमेंट में मौजूद छात्र नकुल तिवारी ने हादसे की जो कहानी सुनाई, उसे सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। 27 जुलाई की शाम हादसे के दौरान नकुल राव IAS की लाइब्रेरी में थे। मौत के मुंह से बचकर निकलने वाले वो आखिरी शख्स थे। नकुल ने उस खौफनाक हादसे का आंखों देखा हाल बयां किया है।
7 बजे खुला लाइब्रेरी का गेट
न्यूज 24 के साथ बातचीत में नकुल तिवारी ने बेसमेंट में पानी भरने से लेकर तान्या सोनी और श्रेया यादव के आखिरी पल का किस्सा सुनाया है। नकुल के अनुसार 27 जुलाई की शाम को राव IAS की लाइब्रेरी में वो, तान्या और श्रेया के साथ थे। शाम के तकरीबन 7 बजने वाले थे। तभी लाइब्रेरियन ने आवाज दी कि चलो सभी बाहर निकलो। हर रोज 7 बजे लाइब्रेरी बंद हो जाती थी। सभी छात्रों को लगा कि शायद लाइब्रेरी बंद होने वाली है, इसलिए उन्हें बाहर निकलने को कहा जा रहा है। उन्हें क्या पता था कि लाइब्रेरी के गेट के बाहर मौत ने दस्तक दे दी है।
दरवाजे से आई धमाके की आवाज
नकुल के अनुसार लाइब्रेरी में 25-30 बच्चे मौजूद थे। लाइब्रेरियन की बात सुनकर सभी ने बैग पैक करना शुरू कर दिया। इसी बीच लाइब्रेरियन ने अचानक से दरवाजा खोला और फिर जो हुआ उसे देखकर हर कोई हैरान रह गया। दरवाजे के बाहर मौजूद पानी किसी सैलाब की तरह लाइब्रेरी में घुसा। दरवाजे के पास खड़े बच्चे आसानी से बाहर निकल गए लेकिन अंदर मौजूद लोग वहीं फंसकर रह गए। पानी का बहाव इतना तेज था कि लाइब्रेरी का दरवाजा भी टूटकर बिखर गया। नकुल का कहना है कि एक दरवाजे पर पानी भरने के बाद जब हम सभी दूसरे दरवाजे की तरफ भागे तो ऐसा लगा जैसे किसी ने बम ब्लास्ट किया हो। गेट चकनाचूर हो गया और हमारे एक साथी के हाथ में चोट भी लगी।
तान्या ने नहीं मानी हार
मौत सिर पर मंडरा रही थी लेकिन तान्या ने हिम्मत नहीं हारी। नकुल ने बताया कि तान्या ने सभी को एक-दूसरे का हाथ पकड़कर चेन बनाने के लिए कहा। इससे पहले कि चेन बन पाती कि पानी के प्रेशर में हमारा हाथ छूट गया। सभी किसी ना किसी तरह हिम्मत करके सीढ़ियों के रास्ते रेलिंग पकड़ कर बाहर आ गए। अंदर सिर्फ नकुल, तान्या और श्रेया बचे थे। तीनों लाइब्रेरी में मौजूद मेज पर खड़े हो गए। मगर धीरे-धीरे पानी का स्तर बढ़ता चला गया।
दोनों ने किया जाप
नकुल का कहना है कि तान्या और श्रेया को उम्मीद थी कि कोई बाहर से उन्हें बचाने आएगा। वो डर के मारे 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करने लगीं। दोनों जोर-जोर से 'ॐ नमः शिवाय' बोल रहीं थीं। तभी किसी ने ऊपर से एक पाइप फेंकी। मैं पाइप के पास खड़ा था, इसलिए मैं फौरन वो पाइप पकड़ ली। लाइब्रेरी के अंदर बिल्कुल अंधेरा था। तान्या ने मेरे बैग से फोन निकालकर फ्लैश लाइट ऑन की और मुझसे कहा कि नकुल तुम श्रेया को पहले बाहर ले जाओ, वो बहुत ज्यादा डरी हुई है।
तान्या और श्रेया ने छोड़ा नकुल का पैर
नकुल ने पाइप के सहारे अपने दोनों पैर बढ़ाए और दोनों को एक-एक पैर पकड़ने के लिए कहा। उस समय तक पानी नाक के ऊपर जा चुका था। नकुल का कहना है कि दोनों ने मेरा पैर पकड़ा और जब हमें ऊपर खींचा गया तो मेरे पीछे कोई नहीं था। शायद उनसे मेरा पैर छूट गया होगा। बाहर आने के बाद मैं भी 2-4 कदम चला और बेहोश हो गया। लगभग 5 मिनट बाद जब मैं होश में आया तो मैंने सभी को बताया कि दो लड़कियां अंदर फंसी हैं, उन्हें बाहर निकालो।
2 घंटे बाद आई फायर ब्रिगेड
नुकल के अनुसार 7 बजे लाइब्रेरी का गेट खुलने से लेकर तकरीबन 7:30 तक वो लाइब्रेरी के अंदर तान्या और श्रेया के साथ थे। साढ़े सात के बाद नकुल बाहर आए। तब तान्या और श्रेया उनके साथ नहीं थीं। सभी ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को फोन किया। मगर फायर ब्रिगेड वाले ठीक 2 घंटे बाद 9:30 बजे के आसपास मौके पर पहुंचे। जाहिर है तब तक तान्या और श्रेया जिंदगी की जंग हार चुकी थीं। तीसरे छात्र नवीन डालविन के बारे में पूछने पर नकुल ने कहा कि वो हमारे साथ नहीं थे। शायद वो लाइब्रेरी में कहीं पीछे या फिर टॉयलेट में रहे होंगे। हमें उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
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