क्या है बग्घी से जुड़ा 40 साल पुराना राज, जिसका पाकिस्तान से कनेक्शन, बैठे भारत-फ्रांस के राष्ट्रपति
President Droupadi Murmu Arrived In Carriage At Parade: 75वें गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार एक स्पेशल बग्घी दिखी, जिसमें बैठकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों कर्तव्य पथ पर आए। यह बग्घी पारंपरिक घोड़ा चलित बग्घी थी, जिसके साथ राजसी घोड़ों पर सवार लाल वर्दी में अंगरक्षक भी थे।
40 साल बाद कोई राष्ट्रपति बग्घी में बैठकर परेड में आया, क्योंकि 31 दिसंबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इस बग्घी का इस्तेमाल बंद कर दिया गया था। बग्घी की जगह हाई सिक्योरिटी कार ने ली ली थी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बग्घी का पाकिस्तान से बेहद खास कनेक्शन हैं, नहीं तो आइए इस पर बात करते हैं...
बग्घी जीती थी पाकिस्तान से टॉस करके
घोड़ों से खींची जाने वाली बग्घी ब्रिटिश राज के दौरान भारतीय लॉर्ड वायसराय द्वारा इस्तेमाल की जाती थी। 1947 में विभाजन के समय पाकिस्तान-भारत दोनों ने इस पर दावा किया, जिसका फैसला सिक्के से टॉस करके किया गया।
राष्ट्रपति की बॉडीगार्ड रेजिमेंट के पहले कमांडेंट लेफ्टिनेंट कर्नल ठाकुर गोविंद सिंह और पाकिस्तानी सेना के साहबजादा याकूब खान की मौजूदगी में टॉस हुआ, जिसे भारत में जीता और इस तरह बग्घी भारत में आ गई। बग्घी के बॉडीगार्ड भी भारत को मिल गए। इस बग्घी में 1950 में पहली बार देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद बैठे थे।
2014 और 2017 में इस्तेमाल हुई थी बग्घी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, काले रंग की बग्घी पर सोने की परत चढ़ी है। बग्घी का इस्तेमाल राष्ट्रपतियों द्वारा ही किया जाता है। इस बग्घी को भारतीय और ऑस्ट्रिया के घोड़े खींचते हैं। 29 जनवरी 2014 को उस समय के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस बग्घी में बैठकर बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी में आए थे।
रामनाथ कोविंद ने भी 25 जुलाई 2017 को शपथ राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण समारोह में इस बग्घी की सवारी की थी। 320 एकड़ में बने राष्ट्रपति भवन में घूमने के लिए इस बग्घी का इस्तेमाल किया जाता है। 40 साल बाद राष्ट्रपति मुर्मू बग्घी में बैठकर परेड में हिस्सा लेने आईं।