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20KG तक वजन कैरी, कैमरों-सेंसर से लैस; पाक-चीन के छक्के छुड़ाएंगे रोबोटिक MULE और ड्रोन

Robotic MULE-Drone : भारतीय सेना के बेड़े में अत्याधुनिक हथियार शामिल हो रहे हैं। इसमें दो घातक और खतरनाक रोबोटिक डॉग और ड्रोन की भी एंट्री हो गई है, जो पाकिस्तान और चीन के छक्के छुड़ाएंगे। आइए जानते हैं कि क्या हैं फीचर्स?
01:33 PM Nov 01, 2024 IST | Deepak Pandey
20kg तक वजन कैरी  कैमरों सेंसर से लैस  पाक चीन के छक्के छुड़ाएंगे रोबोटिक mule और ड्रोन
सेना के बेड़े में रोबोटिक डॉग और ड्रोन शामिल।

Robotic MULE-Drone : दुश्मन देशों को पटखनी देने के लिए भारतीय सेना के बेड़े में नए घातक हथियारों की एंट्री हो रही है। जम्मू-कश्मीर में बढ़ते आतंकी खतरे से निपटने के लिए भारतीय सेना अत्याधुनिक हथियारों से लैस हो गई है। इसमें पहला- रोबोटिक MULE यानी रोबोटिक मल्टी यूटिलिटी लेग्ड इक्विपमेंट और दूसरा- हाई/मीडियम एल्टीट्यूड लॉजिस्टिक्स ड्रोन शामिल है। इसे खास तौर पर भारतीय सेना के लिए डिजाइन किया गया है।

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रोबोटिक खच्चर MULE पहाड़ों से लेकर नदी तक में उतरकर ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। रोबोटिक खच्चर के आने से भारतीय सेना की ताकत में कई गुना इजाफा हो गया। रोबोटिक MULE एक रोबोटिक डॉग है, जिसे युद्ध और सर्च ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है। रोबोटिक डॉग सीढ़ियों और खड़ी पहाड़ियों पर आसानी से चढ़ सकता है। ये रोबोटिक डॉग माइनस 40 से 55 डिग्री सेल्सियस के तापमान में काम कर सकता है।

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रोबिटिक डॉग के क्या हैं फीचर्स?

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बाहुबली MULE 15 किलोग्राम तक का वजन उठाकर पहाड़ों पर आसानी से चढ़ सकता है। ये थर्मल कैमरे और सेंसर से लैस है। इतना ही नहीं भारतीय सेना का ये रोबोटिक MULE नदी में उतरकर भी ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। रोबोटिक डॉग थर्मल कैमरों और विभिन्न सेंसरों से लैस है। MULES फ्रंटलाइन सैनिकों के लिए छोटे भार भी ले जा सकता है।

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ड्रोन के क्या हैं फीचर्स?

भारतीय सेना के बेड़े में अबतक का सबसे बड़ा हाई/मीडियम-एल्टीट्यूड लॉजिस्टिक्स ड्रोन शामिल हो गया। यह ड्रोन ऊंचे इलाकों में 20 किलोग्राम तक का वजन कैरी करने में सक्षम है। ऊंचाई वाले क्षेत्र में यह ड्रोन सेना तक रसद पहुंचा सकता है, हथियार गोला बारूद पहुंचा सकता है, जिसमें लेटेस्ट कैमरे लगे हैं। यह जीपीएस आधारित ड्रोन है। एक बार कमान देने के बाद यह ड्रोन अपना मिशन पूरा करके आएगा। इसका इस्तेमाल दुश्मनों के ट्रेनिंग कैंप, ठिकानों और लॉन्च पैड पर हमला करने के लिए किया जाएगा, ताकि सैनिकों का जोखिम कम से कम हो।

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