'3-4 बच्चे पैदा करने पर ही देश विकसित बनेगा' RSS ने जनसंख्या पर दिया अजीबोगरीब बयान
जयपुर से केजे श्रीवत्सन की रिपोर्ट।
RSS Leader Satish Kumar on Population: लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से RSS अपने बयानों को लेकर काफी सुर्खियों में हैं। मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार के बयानों से विपक्ष को भी बीजेपी और पीएम मोदी को घेरने का मौका मिल गया। अब जयपुर से संघ के वरिष्ठ प्रचारक और स्वदेशी जागरण मंच के सह संगठक सतीश कुमार ने ऐसा बयान दिया जिसको लेकर राजनीतिक गलियारों में बयानबाजी होना तय है।
सतीश कुमार ने स्वदेशी जागरण मंच की कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि अब दो नहीं बल्कि 3-4 बच्चे पैदा करने की जरूरत है। तभी देश को विकसित बनाया जा सकता है। 2047 के विकसित भारत में बुड्ढे नहीं बल्कि युवा अधिक होने चाहिए। हमें 2047 में गतिमान जनसंख्या के साथ जाना है।
बड़ा परिवार सुखी परिवार
सतीश कुमार ने कहा कि पहले छोटा परिवार सुखी परिवार कहते थे, लेकिन अब हम कहते हैं बड़ा परिवार सुखी परिवार। सतीश कुमार ने कहा कि वो ये बात ऐसे ही नहीं कह रहे हैं। बल्कि आर्थिक गतिविधियों और आबादी के रिप्लेसमेंट रेशो के आधार पर कह रहे हैं। अभी इंटरनेशनल स्टैंडर्ड 2.1 है जबकि हमारे यहां 1.9 प्रतिशत है जबकि यह 2.2 प्रतिशत होना चाहिए। अब यह होना चाहिए कि दो या तीन बच्चे घर व देश को रखते अच्छे। पांच या छह नहीं, लेकिन दो या तीन जरूरी है, हालांकि चार भी हो सकते हैं। भारत की इकॉनोमी और परिवार की स्टेबिलिटी के लिए यह जरूरी है। बच्चे तीन या चार भी हों तो बड़ी बात नहीं है इस दृष्टिकोण से आगे बढ़ना होगा।
बुड्ढों का नहीं युवाओं का विकसित भारत
सतीश कुमार ने दावा किया कि उन्होंने ज्यादा बच्चों की बात यूं ही नहीं बोली, बल्कि दो बड़े रिसर्च के बाद कही है। रिसर्च में सामने आया कि कुछ देशों की जीडीपी क्या थी और जनसंख्या कम होने से जीडीपी डाउन हुई। ऐसे में तय किया गया है कि युवा एवं गतिमान जनसंख्या 2047 में जानी चाहिए। हम 2047 में बुड्ढों का देश बनकर नहीं जाना चाहते हैं।
सतीश कुमार ने कहा कि समृद्ध एवं सर्वाच्च अर्थव्यवस्था होगी तो भारत विकसित होगा। अभी भारत विश्व में पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है। हम 2025 में चौथी 2026 के बाद तीसरी हो जाएंगे, लेकिन तीसरी से दूसरी और दूसरी से पहली आने में समय लगेगा। वर्ष 2047 में भारत विश्व की एक नम्बर व्यवस्था बनेगा । एक आर्थिक रिपोर्ट कहती है कि अगर देश कि युवा शक्ति पूर्णतया रोजगार युक्त हो जाए तो इकॉनोमी 40 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी।
राजनीतिक दल नौकरी को ही रोजगार मानते हैं
सतीश कुमार ने कहा कि राजनीतिक दल नौकरी को ही रोजगार मानते हैं, जबकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए युवाओं को स्वदेशी रोजगार मिलना चाहिए। ऐसे में हमारा प्रयास स्टार्टअप शुरू करवाने की है। नौकरियां दस प्रतिशत से भी नीचे है जबकि 90 प्रतिशत युवाओं को नौकरियां नहीं मिलती है। राजनीतिक दल और सरकारें नेरेटिव चलाते हैं, यह समस्या को देखने का दष्टिकोण है। शिक्षा को रोजगार से जोड़ना जरूरी है।
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