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संविधान हत्या दिवस पर क्यों मचा बवाल? जानें क्या इस दिन का इतिहास? संविधान में हुए थे कितने बदलाव?

Samvidhan Hatya Divas Detail Analysis: संविधान हत्या दिवस काफी विवादों में है। पक्ष और विपक्ष इसे लेकर मुखर हो गए हैं। केंद्र सरकार ने अगले साल से 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में याद किया जाएगा। आइए जानते हैं 25 जून का इतिहास क्या है?
03:54 PM Jul 13, 2024 IST | Sakshi Pandey
संविधान हत्या दिवस पर क्यों मचा बवाल  जानें क्या इस दिन का इतिहास  संविधान में हुए थे कितने बदलाव

Samvidhan Hatya Divas: सत्ता के गलियारों में एक नया मुद्दा सामने आया है। गृह मंत्री अमित शाह ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। गृह मंत्री के इस ऐलान के बाद विपक्ष भी जमकर पलटवार करता दिखाई दे रहा है। मगर सवाल ये है कि 25 जून ही क्यों? 25 जून को ऐसा क्या हुआ था? आपातकाल के दौरान संविधान क्यों सवालों के कठघरे में आ गया?

गृह मंत्री के ऐलान के बाद भारत दुनिया का पहला देश बन गया है, जहां 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है और अब 25 जून को संविधान हत्या दिवस भी मनाया जाएगा। संयोगवश इसी साल सितंबर में अभिनेत्री कंगना रनौत की मोस्ट अवेटेड मूवी इमरजेंसी भी रिलीज हो रही है। पिछले महीने बीजेपी सांसद बनीं कंगना की ये फिल्म भी आपातकाल पर आधारित है।

पहली और आखिर बार लगी थी इमरजेंसी

बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक देख में आपातकाल की घोषणा की थी। इससे पहले बहुत कम लोगों को संविधान में मौजूद आपातकाल के बारे में पता था। भारतीय संविधान में आपातकाल का प्रावधान जर्मनी से लिया गया है। संविधान के अनुच्छेद 352-360 में तीन तरह की इमरजेंसी का जिक्र मौजूद हैं। इस लिस्ट में नेशनल इमरजेंसी, संवैधानिक इमरजेंसी और फाइनेंशियल इंमरजेंसी का नाम शामिल है। नेशनल इमरजेंसी यानी राष्ट्रीय आपातकाल देश में सिर्फ एक बार 1975 में लगा है। वहीं संवैधानिक आपातकाल कई बार अलग-अलग राज्यों पर लगाया जा चुका है। इसे राष्ट्रपति शासन भी कहा जाता है। हालांकि फाइनेंशियल इमरजेंसी देश में कभी नहीं लगी है।

'मिनी कॉन्स्टीट्यूशन'

इमरजेंसी के दौरान संविधान में कई बड़े बदलाव किए गए थे। इस दौरान 42वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम लागू किया गया। इस अधिनियम को 'मिनी कॉन्स्टीट्यूशन' भी कहा जाता है। इस अधिनियम के तहत संविधान की प्रस्तावना में पंथ निर्पेक्ष और समाजवादी जैसे शब्द जोड़े गए थे। इसके अलावा राज्य के नीति निदेशक तत्वों में भी बदलाव किए गए। लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 5 साल से बढ़ाकर 6 साल कर दिया गया। साथ ही संविधान में मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) के रूप में नया अनुच्छेद 51A जोड़ा गया था।

21 महीने का आपातकाल

25 जून 1975 से लेकर 21 मार्च 1977 तक देश में 21 महीने का आपातकाल लगा था। इस दौरान मूल अधिकारों को सस्पेंड कर दिया गया। लोगों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए थे। मीडिया की स्वतंत्रता और चुनाव का अधिकार भी रद्द हो गया था। साथ ही विपक्ष के कई नेताओं और सरकार के खिलाफ बोलने वालों को भी जेल में बंद कर दिया गया था। इस लिस्ट में कई दिग्गज हस्तियों के नाम शामिल थे।

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