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जबरन फूल देना भी यौन उत्‍पीड़न! SC ने टीचर की हरकत को माना गलत, जानें फ‍िर क्‍यों कर द‍िया र‍िहा?

Sexual Harassment Case Supreme Court Verdict: स्कूली छात्रा के यौन शोषण से जुड़े केस में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए आरोपी टीचर को बरी कर दिया है। पीठ ने टीचर की हरकत को पोक्सो एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न माना है, लेकिन पुलिस को मामले की गहन जांच करने का आदेश हुए उसके खिलाफ कोई एक्शन अभी लेने से इनकार कर दिया।
11:17 AM Mar 14, 2024 IST | Khushbu Goyal
जबरन फूल देना भी यौन उत्‍पीड़न  sc ने टीचर की हरकत को माना गलत  जानें फ‍िर क्‍यों कर द‍िया र‍िहा
Supreme Court of India

Supreme Court Verdict in Pocso Act Case: सुप्रीम कोर्ट ने बच्ची को फूल लेने के लिए मजबूर करने को यौन शोषण बताते हुए एक केस में फैसला सुनाया। टीचर की हरकत को पॉक्सो एक्ट (POCSO) के तहत अपराध माना, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी टीचर को बरी भी कर दिया।

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पीठ ने टिप्प्णी की कि एक टीचर-गुरु के रिश्ते पर सवाल उठ रहे हैं, इसलिए जब तक यौन उत्पीड़न का पुख्ता सबूत न मिल जाए, तब तक मामले में कानूनी कार्रवाई करना रिश्ते को कलंकित करने जैसा है। टीचर की अपनी छवि भी खराब होगी, इसलिए पुलिस मामले की गहराई से जांच करे और सबूत पेश करे। उसके बाद मामले में आगे का फैसला लिया जाएगा।

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बच्ची को मोहरा बनाने की आशंका जताई

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस के वी विश्वनाथन, जस्टिस संदीप मेहता, जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने आशंका जताई कि बच्ची को मोहरा बनाया जा रहा है, क्योंकि पुलिस की जांच में बच्ची के परिवार और टीचर के परिवार के बीच व्यक्तिगत विवाद सामने आए हैं। ऐसे में पीठ ने कहा कि इस एंगल को ध्यान में रखकर मामले की गहन जांच बनती है कि क्या बच्ची को मोहरा बनाकर व्यक्तिगत खुंदक तो नहीं निकाली जा रही?

जस्टिस दत्ता ने टिप्पणी करते हुए कि पॉक्सो एक्ट के तहत यौन शोषण केसों में कड़ी सजा दी जाती है, लेकिन जब मामला स्कूल जैसे पब्लिक प्लेस से जुड़ा हो और टीचर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हो, तब मामला गंभीर हो जाता है। ऐसे में यह देखना जरूरी हो जाता है कि टीचर को बदनाम करने के लिए लड़की और उसके परिवार वाले कानून का फायदा तो नहीं उठा रहे, क्योंकि स्कूल में छात्राएं शिक्षकों की जिम्मेदारी होती हैं।

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पुलिस को गहन जांच करने के निर्देश

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पुलिस जांच में विसंगतियां होने की आशंका जाहिर की है। तमिलनाडु के वरिष्ठ वकील ने एक दलील दी थी कि इस तरह के मामलों में लिए गए फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे। इसलिए कोर्ट को ध्यान देना होगा कि सबूतों से छेड़छाड़ न हुई हो। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील से भी सहमति जताई।

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