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आखिर क्यों नई लोकसभा के शुरू होते ही इस चीज पर मच गया बवाल, अखिलेश यादव के सांसद ने की हटाने की मांग

Sengol Controversy: सपा सांसद आरके चैधरी ने संसद भवन से सेंगोल हटाने की मांग कर नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने बतौर सांसद शपथ के बाद प्रोटेम स्पीकर और स्पीकर के नाम का पत्र लिखकर उसे हटाने की मांग की है।
10:28 AM Jun 27, 2024 IST | Rakesh Choudhary
आखिर क्यों नई लोकसभा के शुरू होते ही इस चीज पर मच गया बवाल  अखिलेश यादव के सांसद ने की हटाने की मांग
यूपी के मोहनलाल गंज से सांसद आरके चौधरी

SP MP RK Choudhary Demand Remove Sengol: यूपी के मोहनलाल गंज लोकसभा क्षेत्र से सपा सांसद आरके चौधरी ने लोकसभा में लगे सेंगोल पर सवाल उठाया है। उन्होंने स्पीकर और प्रोटेम स्पीकर को लेकर एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने इसे संसद से हटाकर इसकी जगह संविधान की विशाल प्रति लगाने की मांग की है।

सपा सांसद ने प्रोटेम स्पीकर और स्पीकर को संबोधित कर लिखे पत्र में कहा कि मैंने आज सम्मानित सदन में आपके समक्ष सदस्य के रूप में शपथ ली। मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। परंतु सदन में पीठ के ठीक पीछे सेंगोल देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गया। महोदय हमारा संविधान भारतीय लोकतंत्र का पवित्र ग्रंथ है जबकि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है। हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है किसी राजे-रजवाड़े का महल नहीं। ऐसे में मैं आपसे आग्रह करना चाहूंगा कि संसद भवन से सेंगोल हटाकर उसकी जगह भारतीय संविधान की विशाल काय प्रति स्थापित की जाए।

AAP से राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को कहा कि संगोल को हटाने या रखने से ज्यादा महत्वपूर्ण है संविधान की काॅपी रखी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के सांसद की मांग का हमारी पार्टी समर्थन करती है।

क्यों उठी हटाने की मांग?

सेंगोल की स्थापना से लेकर अब तक उससे जुड़ा कोई विवाद सामने नहीं आया है। लेकिन सपा सांसद ने कहा कि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है जबकि भारत अब एक लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में लोकतांत्रिक देश संविधान से चलता है। इसलिए सेंगोल की जगह भारतीय संविधान की बड़ी प्रति को यहां स्थापित किया जाना चाहिए। हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है किसी राजा या राजघराने का महल नहीं है।

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जानें क्या है सेंगोल?

सेंगोल को पीएम नरेंद्र मोदी ने 28 मई को नई संसद की इमारत में स्थापित किया था। इस सेंगोल को 14 अगस्त 1947 की रात को एक प्रकिया के तहत अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के तौर पर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसे स्वीकार किया था। भारत में यह प्रथा चोल साम्राज्य के समय से यानी 8वीं शताब्दी से चली आ रही है? सेंगोल को संप्रभुता के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। सोने और चांदी से बना ये राजदंड शक्ति और अधिकार का प्रतीक है। ऐसे में सांसद आर के चौधरी ने इसे राजतंत्र का प्रतीक बताते हुए संसद भवन से हटाने की मांग की है। जबकि सेंगोल राजतंत्र नहीं संप्रभुता का प्रतीक है।

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