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ऐतिहासिक कदम: न्याय की देवी की मूर्ति की आंखों से हटाई गई पट्टी, तलवार की जगह अब हाथ में दिखेगा संविधान

Statue Of Justice: 1 जुलाई 2024 से आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू किए गए थे।
09:18 PM Oct 16, 2024 IST | Amit Kasana
ऐतिहासिक कदम  न्याय की देवी की मूर्ति की आंखों से हटाई गई पट्टी  तलवार की जगह अब हाथ में दिखेगा संविधान

Statue Of Justice: देश की न्याय की देवी की मूर्ति बदल दी गई है, अब मूर्ति की आंखों से पट्टी हटा दी गई है। बताया जा रहा है कि देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की सलाह पर ऐसा किया गया है। बता दें अक्सर निचली अदालतों, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हम न्याय की देवी की मृर्ति देखते आए हैं। मूर्ति की आंखों पर पट्टी बंधी होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की कवायद के बाद अब मूर्ति की आंखों से पट्टी हटा दी गई है। इंटरनेट पर इस नई मूर्ति की फोटो वायरल हो रही है। अब आपको कोर्ट, वकीलों के चेंबर्स समेत अन्य जगहों पर लगी न्याय की देवी की मूर्ति की आंखों पर पट्टी नहीं मिलेगी। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की लाइब्रेरी में ये पहली मृर्ति लगाई गई है। हालांकि शीर्ष अदालत की तरफ से इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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हाथ में तलवार की जगह संविधान दिखेगा

जानकारी के अनुसार न्याय की देवी की मूर्ति की आंखों से पट्टी हटाने के अलावा अब उनके हाथ में से तलवार भी हटा दी गई है। अब नई मूर्ति के हाथ में तलवार की जगह संविधान की किताब आ गई है, हालांकि तराजू काटा पहले की तरह बदस्तूर जारी रहेगा।

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जुलाई में ही लिख दी गई थी पटकथा

बता दें 1 जुलाई 2024 से आईपीसी (IPC), सीआरपीसी (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू किए गए थे। अब इन तीन नए कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिकी (FIR) से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। इसी कड़ी में अब न्याय की देवी की मूर्ति में बदलाव किए गए हैं।

क्यों बदली गई मूर्ति?

मीडिया रिर्पोट्स के अनुसार न्याय की देवी के इस नए प्रतीक के अनुसार अब 'कानून अंधा' नहीं रहेगा। बताया जा रहा है कि इस ऐतिहासिक कदम के पीछे कानून मंत्रालय का अंग्रेजी (ब्रिटिशकाल) विरासत को खत्म कर देश की सांस्कृतिक विरासत से जुड़ना मकसद है।

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