'ये गलती कभी मत करना...', जब सुधा मूर्ति ने एक अंधे पुजारी को देने चाहे 20000 रुपये, जवाब में मिला बड़ा सबक

Sudha Murty motivational Story: परोपकारी और लेखिका सुधा मूर्ति कई बार अपने अनुभव सबके साथ साझा करती हैं। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक गरीब अंधे पुजारी की कहानी, जिसकी मदद के लिए सुधा मूर्ति ने पैसे देने की पेशकश की थी। पुजारी ने सुधा जी की इस पेशकश को बहुत ही शालीनता से ठुकरा दिया।

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Sudha Murty motivational Story: सुधा मूर्ति का नाम तो आपने सुना ही होगा, लेखिका सुधा मूर्ति कई बार अपनी जिंदगी से जुड़े किस्से साझा करती हैं। इस बार उन्होंने एक गरीब अंधे पुजारी की के साथ अपने अनुभव को साझा किया है। सुधा मूर्ति तमिलनाडु में एक अंधे पुजारी से मिलीं, जिसको मदद के बदले 20 हजार की रकम देने की पेशकश की। इतनी बड़ी रकम को उस पुजारी ने ये करते हुए मना कर दिया कि इस तरह से कभी किसी को पैसे की पेशकश नहीं करोगी। पढ़िए पुजारी ने सुधा मूर्ति को क्या नसीहत दी थी।

प्रसिद्ध परोपकारी और लेखिका सुधा मूर्ति ने अपने धर्मार्थ प्रयासों से अनगिनत लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। अपनी विनम्रता और गहरी सहानुभूति के लिए जानी जाने वाली सुधा अक्सर ऐसी कहानियां शेयर की हैं जो जीवन को गहरा सबक देती हैं।

पुजारी ने क्यों नहीं लिए पैसे

सुधा मूर्ति अपनी तमिलनाडु की यात्रा के दौरान का एक किस्से का जिक्र किया, जहां पर वे एक पुजारी के परिवार से मिली थीं। उन्होंने बताया कि एक बार उनकी कार खराब हो गई थी, ड्राइवर ने बताया कि पास में ही एक मंदिर है जहां बुजुर्ग अंधा पुजारी और अपनी पत्नी के साथ रहता हैं। वो कहती हैं कि उस वक्त उनकी वहां जाने की बिल्कुल इच्छा नहीं थी, लेकिन मजबूरी में जाना पड़ा। मंदिर में पुजारी और उनकी पत्नी ने बहुत अच्छे से स्वागत किया।

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इस दौरान सुधा मूर्ति ने उनकी मदद करने के इरादे से 100 रुपये दिए। इसपर पुजारी ने कहा कि ये रकम उनके लिए बहुत ज्यादा है। सुधा मूर्ति उनसे इतनी ज्यादा प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने ज्यादा मदद के इरादे से नाम के साथ अन्य जानकारियां मांगी। इस दौरान वो 20 हजार रुपये उनके बुढ़ापे के सहारे के तौर पर देना चाहती थीं। इस बात को पुजारी ने बहुत ही प्यार से अस्वीकार करते हुए कहा कि मैं नहीं जानता कि तुम कौन हो, लेकिन मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूं। जीवन में, यह गलती कभी मत करना।

'जो है वो पर्याप्त है'

इतना सुनकर सुधा ने कहा कि आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? इसपर पुजारी ने समझाते हुए कहा कि अगर तुम मुझे यह पैसे दोगी तो यह मेरे लिए बोझ बन जाएगा। ग्रामीण अब हमारी देखभाल करते हैं, लेकिन जैसे ही उन्हें पता चलेगा कि मेरे पास बैंक में 20,000 रुपये हैं, तो पैसे के लालच में हमारी सेवा करना शुरू कर देंगे। पुजारी ने आगे कहा कि भगवान ने हमें जो दिया है वह हमारे लिए बहुत है।


सुधा मूर्ति पुजारी की बातों से बहुत प्रभावित हुईं। पुजारी अपने अंधेपन और बुढ़ापे के बावजूद आत्मा से समृद्ध थे। वह समझते थे कि सच्चा धन पैसे में नहीं बल्कि यह जानने की शांति में है आपके पास जो है वो बहुत है।

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