मुस्लिम महिलाओं के हक में आया 'सुप्रीम' फरमान, तलाक के बाद होंगी मेंटेनेंस की हकदार
Supreme Court on Muslim Women Divorce: तीन तलाक को रद्द करने वाले सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही मुहर लगा चुका है। वहीं अब कोर्ट ने बार फिर से मुस्लिम महिलाओं के हक में फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता यानी मेंटेनेंस ले सकती हैं। CrPC की धारा 125 के तहत मुस्लिम महिलाओं को तलाक के बाद पति से मेंटेनेंस लेने का पूरा हक है।
दरअसल एक शख्स ने तलाक के बाद अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने से साफ इनकार कर दिया। उसने शाहबानों केस में मौजूद मेंटेनेंस के प्रवाधान को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था। हालांकि कोर्ट ने इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है। जस्टिस बीवी नागारत्ना और जस्टिस अगस्ताइन जॉर्ज मैश ने कहा कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) कानून 1986 धर्मनिरपेक्षिता पर लागू नहीं होगा। इसलिए CrPC की धारा 125 के अंतर्गत मुस्लिम महिलाएं भी तलाक के बाद मेंटेनेंस की हकदार होंगी।
Supreme Court rules that Section 125 CrPC, which deals with wife's legal right to maintenance, is applicable to all women and a divorced Muslim female can file a petition under this provision for maintenance from her husband. pic.twitter.com/5pFpbagjkD
— ANI (@ANI) July 10, 2024
जज ने क्या कहा?
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि हम इस निष्कर्ष के साथ आपराधिक अपील को खारिज कर रहे हैं कि धारा 125 ना केवल विवाहित महिलाओं पर लागू होगी बल्कि मुस्लिम महिलाएं भी इसके दायरे में आएंगी। कानून के तहत सभी महिलाओं को गुजारा भत्ता लेने का अधिकार है।
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि 1985 में शाहबानो मामले पर एतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि CrPC की धारा 125 एक धर्मनिरपेक्ष कानून है। जो सभी महिलाओं पर लागू होगा। हालांकि मुस्लिम महिला अधिनियम 1986 ने इसे निरस्त करते हुए मुस्लिम महिलाओं को इससे बाहर कर दिया था।
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