'आप जीतें तो EVM ठीक, हारें तो खराब...', बैलेट पेपर से चुनाव कराने वाली याचिका SC ने की खारिज
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बैलेट पेपर से चुनाव करवाने को लेकर दाखिल की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में डिमांड की गई थी कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को बैन किया जाए। याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस पीबी वराले और विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि आप जब चुनाव में जीत दर्ज करते हैं तो ईवीएम से कोई छेड़छाड़ नहीं होती। जब आप चुनाव हार जाते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ हो जाती है। केए पॉल ने शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर की थी। जिसमें मांग की गई थी कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए बैलेट पेपर से मतदान करवाने का फैसला लागू करना जरूरी है।
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उन्होंने EVM से छेड़छाड़ की आशंका जाहिर की थी। उन्होंने अपनी याचिका में दो नेताओं का हवाला भी दिया था। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी और मौजूदा मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी दावा कर चुके हैं कि EVM सेफ नहीं है। इससे छेड़छाड़ की जा सकती है।
मस्क के दावे का जिक्र
अमेरिकी अरबपति एलन मस्क के दावे का हवाला भी उन्होंने दिया था। मस्क ने कहा था कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है। जिसके जवाब में पीठ ने कहा कि जब नायडू या रेड्डी चुनाव में जीत हासिल करते हैं तो कुछ नहीं कहते। जब हार जाते हैं तो कहते हैं कि EVM से छेड़छाड़ की जाती है। इसे वे कैसे देख सकते हैं। इसे खारिज किया जाता है। जस्टिस नाथ ने कहा कि इस जगह पर आप इस सब को लेकर बहस नहीं कर सकते हैं। याचिका में बैलेट पेपर से वोटिंग के अलावा कई और भी मांगें रखी गई थीं। जिसमें चुनाव आयोग (EC) को निर्देश देने की मांग की गई थी कि अगर कोई कैंडिडेट वोटर्स को पैसे या शराब आदि वितरित करने का दोषी पाया जाता है तो उसे 5 साल के लिए अयोग्य ठहराया जाए।
याचिकाकर्ता केए पॉल ने कहा कि जनहित में उन्होंने याचिका दाखिल की है। इसके जवाब में न्यायालय ने कहा कि आपके पास दिलचस्प याचिकाएं हैं, आपको इतने शानदार विचार कहां से मिले हैं? इसके बाद याचिकाकर्ता ने कहा कि वे ऐसे संगठन के अध्यक्ष हैं, जिन्होंने 3 लाख से अनाथ बच्चों और 40 लाख विधवा महिलाओं को बचाया है। न्यायालय ने इस पर भी सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा कि आपका कार्यक्षेत्र अलग है। आप राजनीति में क्यों उतर रहे हैं? पॉल ने कहा कि वे 150 देशों की यात्राएं कर चुके हैं। विदेशों ने भी बैलेट पेपर को अपना लिया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप बाकी दुनिया से अलग क्यों नहीं होना चाह रहे?
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