UP के 17 लाख छात्रों को बड़ी राहत, जानें क्या है मदरसा एक्ट जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया नोटिस
UP Madarsa Act : उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद 16 हजार मदरसों की मान्यता को खत्म करने का फैसला किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी कर दिया है। हाईकोर्ट के आदेश को मदरसा अजीजिया इजाजुतूल उलूम के मैनेजर अंजुम कादरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जानिए क्या है मदरसा एक्ट जिसको लेकर उत्तर प्रदेश में बवाल मचा हुआ है।
यूपी मदरसा शिक्षा परिषद के अनुसार ताथानिया (प्राथमिक स्तर) , फौकानिया (जू. हाई स्कूल) के कुल 14677 मदरसे हैं जबकि आलिया (हाईस्कूल) के कुल 4536 मदरसे हैं। 22 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए यूपी मदरसा एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दे दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी और नोटिस जारी कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 22 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों पर नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हाई कोर्ट के फैसले से 17 लाख छात्रों पर असर पड़ेगा और छात्रों को दूसरे स्कूल में स्थानांतरित करने का निर्देश देना उचित नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने 'यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004' को असंवैधानिक करार देने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के 22 मार्च के फैसले पर रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 22 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों पर नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हाई कोर्ट… pic.twitter.com/Fh79Dr35Ts
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 5, 2024
आखिर क्या है मदरसा एक्ट? (What is Madrasa Act?)
मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को मदरसों की शिक्षा व्यवस्था और मैनेजमेंट के लिए बनाया गया था। इस अधिनियम के तहत मदरसों के छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में समायोजित करने की दिशा में कई प्रावधान हैं। इसके जरिए पूरे उत्तर प्रदेश में मदरसों की स्थापना, मान्यता, पाठ्यक्रम और प्रशासन के लिए एक रूपरेखा प्रदान की गई थी। मदरसा एक्ट के तहत, मदरसों को न्यूनतम मानक पूरा करने पर बोर्ड से मान्यता मिल जाती थी। इस कानून के तहत मान्यता प्राप्त मदरसों को सरकारी मदद भी मुहैया कराई जाती थी।
हालांकि पिछले दिनों जब सरकार ने मदरसों का सर्वे कराया तो हैरान करने वाली जानकारी सामने आई थी। पता चला कि ज्यादातर मरदसे अवैध हैं और इन्हें फंडिंग कहां से मिलती है, इसका भी को स्पष्ट और संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया था।
हाई कोर्ट ने क्या कहते हुए रद्द किया था एक्ट?
मदरसा एक्ट को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन बताते हुए याचिका दायर की गई थी। इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसा एक्ट को रद्द करते हुए कहा था कि मदरसा में पढ़ने वालों छात्रों के लिए राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त संख्या में अतिरिक्त सीटें बनाई जाएं और यदि आवश्यक हो तो पर्याप्त संख्या में नए स्कूल स्थापित किए जाएं। राज्य सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के दाखिला मान्यता प्राप्त स्कूलों में हो।