SC ने बंगाल के 25 हजार शिक्षकों को दी फिलहाल राहत, HC के नौकरी समाप्त करने के फैसले पर लगाई रोक
Calcutta High Court: सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के करीब 25 हजार शिक्षकों की नौकरी समाप्त करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेशों पर रोक लगा दी है। ये शिक्षक फिलहाल सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। इनमें गैर शिक्षक कर्मी भी शामिल हैं। जिसके बाद 25753 शिक्षकों और गैर शिक्षक कर्मियों की नियुक्ति को कलकत्ता हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल को अमान्य करार दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर रोक लगाई है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले की सुनवाई की। बेंच ने कहा कि दागी नियुक्तियों को अलग किया जा सकता है। इसलिए सभी की नियुक्ति को रद्द करना नासमझी होगी।
West Bengal teachers recruitment scam case: The Supreme Court allows CBI to continue its investigation into the West Bengal teacher recruitment scam case. However, it will not take any coercive steps against any official or candidate. pic.twitter.com/dlSGG2q1et
— ANI (@ANI) May 7, 2024
जो लोग दोषी मिलेंगे, उनको वेतन लौटाना होगा
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जो लोग अवैध तौर पर नियुक्ति पाने के दोषी मिलेंगे, उनको अपना वेतन भी वापस करना होगा। कोर्ट ने जांच एजेंसी को कहा कि आरोपियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिए कि वह जांच को जारी रखे। भर्तियों को जल्दबाजी में रद्द नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को व्यवस्थागत धोखाधड़ी बताते हुए तलख टिप्पणी की। जिन लोगों को शॉर्टलिस्ट किए बिना नौकरी दी गई, उन लोगों के बारे में सीबीआई जानकारी जुटाएगी। कोर्ट ने साफ किया कि सरकारी अधिकारियों और बाहर होने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं होगी।
#Breaking: Supreme Court issues interim stay on Calcutta High Court order cancelling appointment of over 25,000 teachers in #Bengal till the next hearing. CBI probe will continue but cannot take any coercive steps against candidates or officials. “The total illgal appointments…
— Tamal Saha (@Tamal0401) May 7, 2024
2014 में एसएससी की ओर से इस भर्ती के संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया गया था। उस समय शिक्षा मंत्री का पद पार्थ चटर्जी के पास था। भर्ती के लिए प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी। इसके बाद कई आवेदकों ने भर्ती में धांधली होने की शिकायत दी थी। हाई कोर्ट ने याचिका दाखिल होने के बाद इसकी जांच 2022 में सीबीआई को सौंप दी थी। जिसके बाद ईडी की ओर से पार्थ चटर्जी को अरेस्ट किया गया था। कई लोगों का आरोप था कि कुछ लोगों के नंबर कम थे। लेकिन इसके बाद भी उनको मेरिट में जगह दी गई।