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केंद्रीय बजट से कितना अलग है रेलवे बजट? कब और क्यों हुआ बंटवारा? जानिए इतिहास

Union Budget 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को देश का केंद्रीय बजट 2024 पेश करेंगी। सभी वर्गों को अपने लिए सौगात मिलने का इंतजार है। किसानों और उद्योगपतियों समेत सब लोगों को अपनी-अपनी मांगें पूरी होने का इंतजार है। लेकिन बजट से जुड़ी एक खास बात आपको बताते हैं।
10:58 PM Jul 17, 2024 IST | Parmod chaudhary
केंद्रीय बजट से कितना अलग है रेलवे बजट  कब और क्यों हुआ बंटवारा  जानिए इतिहास
Nirmala Sitharaman-फोटो संसद टीवी

Railway Budget: देश का आम बजट 23 जुलाई को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। आम बजट को लेकर सभी वर्गों को उम्मीद है कि महंगाई से छुटकारा मिलेगा और बेरोजगारी कम होगा। किसानों को उम्मीद है कि उनकी आय नई योजनाएं लागू होने से बढ़ेंगी। वहीं, उद्योगपति कर दरें कम होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। देश इंतजार कर रहा है कि इस बार बजट में लोगों को क्या-क्या मिलने वाला है? अब आपको रेलवे बजट से जुड़ी बात बता रहे हैं। इतिहास देखें तो कभी रेलवे बजट अलग पेश किया जाता था।

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लेकिन 2017-18 के आम बजट में इसको मर्ज किया गया था। 92 साल पुरानी परंपरा को मोदी सरकार ने बदल दिया था। यानी इससे पहले लंबे समय तक रेलवे का बजट अलग से बनता था। 2017-18 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इकट्ठा बजट पेश किया था। पहली बार 1924 में केंद्रीय बजट से रेलवे बजट को एकवर्थ समिति की सिफारिशों के बाद अलग किया गया था।

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जॉन मथाई ने एक साथ पेश किए थे दो बजट

भारत को आजादी मिली और पहली बार रेल मंत्री जॉन मथाई ने 1947 में रेलवे बजट पेश किया था। मथाई के पास वित मंत्रालय का प्रभार भी था। यानी उस साल उन्होंने दो बजट पेश किए थे। लेकिन मोदी सरकार ने इस परंपरा को तोड़कर मिलाने का निर्णय लिया। 2016 में रेल मंत्रालय ने घोषणा की थी कि अब रेलवे बजट को केंद्रीय बजट में ही मर्ज किया जाएगा। यह फैसला नीति आयोग के मेंबर बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के मद्देनजर किया गया था। वहीं, उनके साथ किशोर देसाई की ओर से भी रेलवे बजट से छूट को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। फैसला हुआ था कि अब वित्त मंत्रालय अब रेलवे के अनुमानों को लेकर एक अलग विधेयक को तैयार करेगा। जिसे संसद में पेश करने के बाद वित्त मंत्रालय ही इससे जुड़े विधायी कार्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी देखेगा।

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परिवहन योजना का विकास करना था मकसद

वहीं, रेलवे को लाभांश का भुगतान करने की छूट भी सरकार के लिए दी जाएगी। जिससे रेलवे को अनावश्यक पूंजी प्रभार से निजात मिलेगी। वहीं, रेल मंत्रालय को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए वित्त मंत्रालय के बजट में सहायता प्रदान की जाएगी। रेलवे अपने खर्चों को पूरा करने के लिए बजट से बाहर भी अपने संसाधन जुटाने के लिए स्वतंत्र रहेगा। केंद्र सरकार का बजटों में विलय करने का उद्देश्य जलमार्गों, राजमार्गों और रेलमार्गों में समन्वय बनाकर परिवहन योजना का विकास करना है। वित्त मंत्रालय को मध्य वर्ष में संसाधनों को आवंटित करने में लचीलेपन का लाभ मिले, इसलिए बजट को एक कर दिया गया।

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