विजया राहटकर कौन? एसिड अटैक पीड़िताओं के लिए किया काम, अब मिली राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष की जिम्मेदारी
Maharashtra News: विजया राहटकर को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। इस पद को संभालने वाली वे 9वीं महिला हैं। इससे पहले विजया के पास महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष की जिम्मेदारी थी। राहटकर एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं के लिए सक्षमा नामक टीम बना चुकी हैं। वहीं, महिलाओं के लिए 24x7 शुरू की गई सुहिता नाम की हेल्पलाइन सेवा के साथ भी वे जुड़ी रही हैं। उन्हें महिला सशक्तीकरण में योगदान के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं। अब उनको राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की कमान सौंपी गई है। बता दें कि महिला आयोग को संवैधानिक निकाय माना जाता है। जो महिला अधिकारों की रक्षा और उत्थान के लिए काम करता है।
5 साल महाराष्ट्र में दे चुकीं सेवाएं
यह आयोग महिलाओं के लिए कानूनी सुरक्षा उपायों की समीक्षा भी करता है। राहटकर को महिलाओं के लिए किए गए कार्यों के लिए नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। विजया ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर महिलाओं के लिए काम किए हैं। वे 2016 से 2021 तक महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की चेयरमैन रही हैं। वे एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए सक्षमा नामक स्वयं सहायता ग्रुप बना चुकी हैं। इस ग्रुप ने केंद्र सरकार की प्रज्वला योजना के साथ महिलाओं को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है।
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वहीं, विजया सुहिता जैसी अग्रणी संस्थाओं के साथ भी काम कर चुकी हैं। विजया ने पॉक्सो और तीन तलाक संबंधी मुद्दों को लेकर भी महिलाओं के हित में काम किया है। मानव तस्करी के खिलाफ भी विजया का योगदान अहम रहा है। वे बेटियों के लिए डिजिटल साक्षरता जैसी मुहिम भी चला चुकी हैं। वहीं, महिलाओं के संदर्भ में उन्होंने साद नामक एक पब्लिकेशन भी शुरू किया था। इसके अलावा विजया 2007 से 2010 तक चैत्रपाती संभाजीनगर की मेयर का कामकाज भी देख चुकी हैं।
महिलाओं को लेकर लिख चुकीं किताबें
विजया ने कई स्टडी और बुनियादी ढांचे से संबंधित विकास प्रोजेक्टों को लेकर काम किया है। राहटकर पुणे यूनिवर्सिटी से पासआउट हैं। वे फिजिक्स में ग्रेजुएशन और हिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री ले चुकी हैं। उन्होंने महिलाओं के विकास को लेकर कई बुक्स लिखी हैं। वे महिलाओं के कानूनी मुद्दों को लेकर 'विधिलिखित' और 'औरंगाबाद: लीडिंग टू वाइड रोड्स' बुक्स लिख चुकी हैं। इन किताबों की वजह से उनको राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थी। वहीं, विजया को राष्ट्रीय कानून पुरस्कार और राष्ट्रीय साहित्य परिषद से सावित्रीबाई फुले पुरस्कार भी मिल चुका है।
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