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'मौत' के मुंह में घुसकर 35 जिंदगियां बचाई; कौन हैं सबीना? जिन्हें उनकी बहादुरी के लिए मिला अवार्ड

Nurse Sabina Bravery Story: वायनाड लैंडस्लाइड में फंसे 35 लोगों की जान बचाने वाली नर्स सबीना को कल्पना चावला पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि कैसे उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए अपने जीवन का मकसद साकार किया।
02:49 PM Aug 16, 2024 IST | Khushbu Goyal
 मौत  के मुंह में घुसकर 35 जिंदगियां बचाई  कौन हैं सबीना  जिन्हें उनकी बहादुरी के लिए मिला अवार्ड
Nurse Sabina

Brave Nurse Sabina Story: केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड से 4 गांव तबाह हो गए। करीब 300 लोगों की लाशें मिलीं और 100 से ज्यादा अभी भी लापता हैं। इस त्रासदी में बेशक कम लोग बचाए जा सके, लेकिन बचाए गए लोगों में 35 लोग ऐसे भी थे, जिन्हें एक नर्स ने बचाया था। वह मौत के मुंह में घुसकर उन्हें बचाकर लाई थी। उसने जिपलाइन के दूसरी तरफ जाकर करीब 10 बार लैंडस्लाइड के मलबे से उफनती नदी पार करके 35 लोगों को निकाला। इस बहादुरी के लिए तमिलनाडु सरकार ने नर्स सबीना को कल्पना चावला पुरस्कार देकर सम्मानित किया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान नीलगिरी जिले की रहने वाली ए सबीना को यह पुरस्कार प्रदान किया।

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जिपलाइन पार करके जाने को कोई तैयार नहीं था

सबीना ने अवार्ड लेने के बाद मीडिया से बात करते हुए बताया कि 30 जुलाई की सुबह 11 बजे के आसपास उन्हें एक NGO का फोन आया। उन्होंने वायनाड में फंसे लोगों की मदद के लिए नर्सों की आवश्यकता के बारे में बताया। फोन आते ही वे भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र के लिए रवाना हो गईं। सबीना बताती हैं कि मौके पर जाकर उन्होंने तबाही की तस्वीरें देखी थीं। हर जगह लाशें बिखरी हुई थीं और घर बह रहे थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वे घबराई नहीं और अपनी साथियों के साथ मदद करने में जुट गईं। सबीना ने बताया कि जब वे वहां पहुंचीं तो उन्हें पता चला कि लोग नदी के दूसरी तरफ फंसे हुए हैं और उन तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। NDRF ने जिपलाइन बनाई थी, लेकिन उस पार जाने की हिम्मत कोई नहीं कर रहा था।

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हिम्मत जुटाकर सबीना ने नदी पार करने की हामी भरी

सबीना ने बताया कि करीब 100 महिला नर्सें अलग-अलग काम कर रही थीं, लेकिन NDRF जिपलाइन के लिए सिर्फ पुरुषों को ही बुलाना चाहते थे, लेकिन कोई भी उपलब्ध नहीं था। महिलाएं तेज बहाव के कारण बहुत डरी हुई थीं तो उन्होंने हिम्मत करके कहा कि वे नदी पार करके जाएंगी। जब वे जिपलाइन पर पहुंची तो उनका एकमात्र मकसद लोगों की जान बचाना था। अपनी जान की परवाह नहीं थी। जब वह जिपलाइन से दूसरी तरफ जा रही थी तो उन्होंने लाशों को नदी की धारा में बहते देखा। अगले कुछ दिन में उन्होंने 10 बार जिपलाइन से नदी पार की। द्वीप पर फंसे 35 लोगों को चिकित्सीय उपचार देकर उनकी जान बचाई। उन्हें इस तरफ लाने में सफलता पाई। इस दौरान गांव के निवासियों द्वारा उनके वीडियो भी बनाए गए।

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जिपलाइन के पार जाकर लोगों की जान बचाने वाली वीडियो और पोस्ट वायरल हो गई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन तक पहुंच गई, जिन्होंने सम्मानित करने के लिए सचिवालय में आमंत्रित किया। यह सब कुछ ही दिन पहले हुआ और वे मुख्यमंत्री से पुरस्कार पाकर बहुत खुश हैं।

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