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हाफ पैंट वाली गोल्ड मेडलिस्ट 'नानी' कौन? कैसे तय किया घुटनों के दर्द से Weighlifting का सफ़र

Weighlifter Success Story: हाफ पैंट वाली नानी प्रभा तिवारी की सफलता की कहानी जोश और जुनून से भर देगी। घुटनों के दर्द से परेशान प्रभा ने वेटलिफ्टर बनने तक की कहानी द बैटर इंडिया को सुनाई है। आप भी सुनिए और अपने बुढ़ापे को नजरअंदाज करके आगे बढ़िए...
10:35 AM Sep 22, 2024 IST | Khushbu Goyal
हाफ पैंट वाली गोल्ड मेडलिस्ट  नानी  कौन  कैसे तय किया घुटनों के दर्द से weighlifting का सफ़र
Weighlifter Prabha Tiwari

Weighlifter Prabha Tiwari Success Story: जब कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो उम्र मायने नहीं रखती। यूं तो 60 की उम्र तक आते-आते शरीर जवाब देने लगता है। घुटने चलने तक की इजाजत नहीं देते, लेकिन एक हाउस वाइफ ने अपने जुनून से इन चुनौतियों को ऐसी मात दी कि दुनिया देखती रह गई। एक हाउस वाइफ, जिसने साड़ी के आगे दुनिया देखी ही नहीं थी...उसने हॉफ पैंट पहनकर ऐसा कमाल करके दिखाया कि हर किसी ने उनकी हिम्मत का लोहा माना।

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शुरुआत में लोगों के ताने सुने, रिश्तेदारों की बातें सुनीं। घुटने का दर्द भी परेशान करता था। डॉक्टर ने एक्सरसाइज करने की सलाह दी तो जिम जाना शुरू कर दिया। वहां ट्रेनर ने वेटलिफ्टिंग कराई और कुछ ही दिन में फिटनेस देखकर इस फील्ड में करियर बनाने की सलाह दी। उस सलाह पर ऐसा अमल किया कि आज 64 साल की उम्र में वेटलिफ्टिंग में गोल्ड मेडल जीत लिया। जी हां, बात हो रही है वेटलिफ्टर प्रभा तिवारी की, जो हाफ पैंट वाली गोल्ड मेडलिस्ट 'नानी' कहलाती हैं।

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बेटी ने वेटलिफ्टर बनने को प्रेरित किया

प्रभा तिवारी उत्तर प्रदेश के लखनऊ की रहने वाली हैं। द बैटर इंडिया को अपनी कहानी बताते हुए कहती हैं कि जैस-जैसे उनकी उम्र आगे बढ़ती गई, उन्हें घुटनों के दर्द ने जकड़ लिया। डॉक्टर ने कह दिया था कि इस दर्द के साथ जीना होगा। दवाइयां दे दूंगा, लेकिन घुटनों का दर्द जड़ से खत्म नहीं हो सकता। अब ऐसे ही जीवन काटना पड़ेगा, लेकिन उन्हें यह मंजूर नहीं था।

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प्रभा बताती हैं कि उनकी बेटी मनीषा ने उन्हें प्रोत्साहित किया और कहा कि वे अपना लाइफस्टाइल बदलें। उसने ही जिम की मेंबरशिप दिलाई। वह जहां खाने-पीने का ध्यान रखती थी, वहीं जिमिंग करने में भी मदद करती थी। प्रभा तिवारी कहती हैं कि शुरुआत में उन्हें हिचक होती थी कि लोग कहेंगे बुढ़ापे में जिम जा रही है। हाफ पैंट पहनती है, शोभा नहीं देता, लेकिन बच्चों ने कहा कि दुनिया की परवार करनी है या अपने शरीर का ध्यान रखना है।

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कार चलाना और स्विमिंग तक सीख ली

प्रभा तिवारी कहती हैं कि बच्चों के प्रोत्साहन से ही उन्होंने जिम जाना शुरू किया और कुछ ही महीनों में उन्हें घुटनों और पैर के दर्द से आराम मिलने लगा। उनका अर्थराइटिस, थायराइट, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की समस्या ठीक हो गई। इसके बाद उन्होंने वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल जीता। कार चलाना और स्विमिंग भी सीखी। वे कहती हैं कि लोग कहेंगे आप बूढ़े हो गए, लेकिन अगर आप भी खुद को बूढ़ा मान लेंगे तो जीते जी मर जाएंगे। इसलिए अपनी कमियों पर काबू पाओ और जीवन में आगे बढ़ो। दुनिया में बहुत कुछ है देखने के लिए। दुनिया तो पीछे खींचेगी, आगे आपको खुद बढ़ना है।

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