whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.

कौन थे Archibald Blair? अब तक जिनके नाम पर था पोर्ट ब्लेयर का नाम, इस काम से बनाई थी अपनी अलग पहचान 

Archibald Blair ने 1771 में मुंबई मरीन ज्वाइन की थी, वे यहां लेफ्टिनेंट थे। उनके पिता Rev. Archibald Blair स्कॉटलैंड सरकार में मंत्री थे।
07:22 PM Sep 13, 2024 IST | Amit Kasana
कौन थे archibald blair  अब तक जिनके नाम पर था पोर्ट ब्लेयर का नाम  इस काम से बनाई थी अपनी अलग पहचान 
Port Blair

Who is Archibald Blair: अंडमान एंड निकोबार की राजधानी का नाम बदलकर श्री विजयपुरम रखा गया है। लेकिन क्या आपको पता है कि पोर्ट ब्लेयर का नाम किसके नाम पर रखा गया था? दरअसल, इस राजधानी का नाम Archibald Blair के नाम पर रखा गया था। आर्चीबाल्ड ईस्ट इंडिया कंपनी के नौसेना अधिकारी थे। उन्हें खातौर पर चागोस द्वीपसमूह और अंडमान द्वीपसमूह के सर्वेक्षिणों के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि उनके नाम पर ही इस द्वीप का नाम रखा गया था। आर्चीबाल्ड का जन्म 1752 में हुआ था और उनकी मुत्यु 1815 में हुई थी।

जानकारी के अनुसार श्री विजयपुरम (पूर्व में पोर्ट ब्लेयर) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आने वाले लोगों का पहला डेस्‍टीनेशन प्‍वाइंट है। बता दें केंद्र सरकार का इसके नाम बदलने के फैसला के पीछे इंडिया से colonial (औपनिवेशिक) छापों को पूरी तरह हटाना बताया है।

ये भी पढ़ें: ताजनगरी नहीं बनेगी विश्व धरोहर… सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला; अब क्या है रास्ता?

Archibald Blair के पिता थे स्कॉटलैंड सरकार में मंत्री

Archibald Blair ने 1771 में मुंबई मरीन ज्वाइन की थी, वे यहां लेफ्टिनेंट थे। उनके पिता Rev. Archibald Blair स्कॉटलैंड सरकार में मंत्री थे। Archibald ने चागोस और अंडमान द्वीपसमूह के अलावा कई बंदरगाहों की पहचान की थी। उन्होंने अंडमान की राजधानी का नाम खुद पोर्ट ब्लेयर रखा था। आज केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट कर पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलने की जानकारी दी है। उन्होंने लिखा कि देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर गृह मंत्रालय ने आज पोर्ट ब्लेयर का नाम श्री विजयपुरम करने का निर्णय लिया है।

रिटायर होने के बाद इस कंपनी के बने डायरेक्टर

Archibald Blair साल 1795 में इंग्लैंड लौट गए थे। मई 1799 में उन्हें रॉयल सोसाइटी का फेलो चुना गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 1800 में वे रिटायर हो गए थे और Bayford में रहने लगे थे। 1814 में वे Porthleven Harbour Company के डायरेक्टर बने। यहां उनका काम पोर्थलेवेन में एक सुरक्षित बंदरगाह और उसकी दीवार बनाना था। पोर्थलेवेन का काम करने के दौरान कॉर्नवाल में 25 मार्च 1815 को उनकी मौत हुई थी। उन्हें सिथनी चर्च में दफनाया गया था।

ये भी पढ़ें: ‘मुझे खाना नहीं देते…कमरे में बंद कर करते हैं ये काम,’ आंध्र प्रदेश से कुवैत गई महिला ने लगाई गुहार, देखें वीडियो

Open in App Tags :
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो