जस्टिस शेखर कुमार यादव कौन? जिनके बयान पर छिड़ी बहस, गाय को बता चुके राष्ट्रीय पशु
Justice Shekhar Kumar Yadav: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव का एक बयान चर्चाओं में है। शेखर कुमार का बयान रविवार को सामने आया था। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत अपने बहुसंख्यकों की इच्छा से चलेगा, यह कहने में उन्हें कोई झिझक नहीं है। इस दौरान उन्होंने इसके पीछे की वजह का भी खुलासा किया था। शेखर यादव इससे पहले भी सुर्खियों में रह चुके हैं। मामला 2021 का है, जब उनको लेकर खूब चर्चा हुई थी।
सरकार के साथ कर चुके काम
शेखर यादव हिंदी में फैसले देने के साथ ही गाय को राष्ट्रीय पशु बता चुके हैं। शेखर यादव का जन्म 16 अप्रैल 1964 को हुआ था। वे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएट हैं, 1988 में पासआउट हुए थे। 8 सितंबर 1990 को एक वकील के तौर पर रजिस्ट्रेशन करवाया था। इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में सिविल और संवैधानिक मामलों में प्रैक्टिस की थी। शेखर यादव उत्तर प्रदेश सरकार के साथ भी काम कर चुके हैं। उन्होंने शासकीय अधिवक्ता और स्थायी अधिवक्ता की जिम्मेदारी संभाली थी। वहीं, रेलवे के वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर भी वे काम कर चुके हैं।
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शेखर यादव ने 12 दिसंबर 2019 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपर न्यायाधीश का पद संभाला था। 26 मार्च 2021 को उन्होंने स्थायी न्यायाधीश के तौर पर जिम्मेदारी ग्रहण की थी। उन्होंने कई फैसले हिंदी भाषा में दिए हैं। अक्टूबर में उनको जांबिया के यसबड विश्वविद्यालय लुसाका से मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली है। गाय को उन्होंने राष्ट्रीय पशु बताया था। उन्होंने कहा था कि गाय ही ऐसा पशु है, जो ऑक्सीजन छोड़ती है। गाय को अपनी रक्षा का मौलिक अधिकार है। गोहत्या के आरोपी को उन्होंने बेल देने से इनकार कर दिया था। अब ताजा बयान देने के बाद वे फिर चर्चा में आ गए हैं।
प्रयागराज में था प्रोग्राम
उनके बयान पर सोशल मीडिया पर बहस देखने को मिल रही है। बता दें कि रविवार को जस्टिस यादव ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में शिरकत की थी। प्रयागराज में आयोजित कार्यक्रम में कई वकील और वॉलंटियर मौजूद थे। इस दौरान जस्टिस ने कहा था कि अगर बच्चों के सामने जानवरों का कत्ल करोगे तो वे दया भाव नहीं सीख पाएंगे। बचपन से ही उनको जानवरों और प्रकृति से प्रेम करने की सीख दें। देवी-देवताओं का अनादर न करें।
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