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Ravish Malhotra कौन? जो स्पेस में जाने वाले पहले भारतीय होते, लेकिन इस वजह से नहीं बना पाए रिकॉर्ड

Ravish Malhotra Interview: इसरो के गगनयान मिशन पर बात करते हुए रवीश मल्होत्रा ने पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शमा से जुड़े एक किस्से का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में जाने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा नहीं वे होते, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

Ravish Malhotra

Who is Ravish Malhotra: एयर कमोडोर रवीश मल्होत्रा ​​(सेवानिवृत्त) ने गगनयान मिशन पर जाने की इच्छा जताई है। इसरो के गगनयान मिशन पर बात करते हुए रवीश मल्होत्रा ने यह ख्वाहिश जाहिर की। विंग कमांडर राकेश शर्मा के साथ 1984 में भारत के पहले अंतरिक्ष मिशन के लिए चुना गया था। रवीश ने कहा कि अगर उन्हें विकल्प दिया जाए तो वे अंतरिक्ष में जाना पसंद करेंगे, बेहतर होगा कि वे भारत के गगनयान से अंतरिक्ष में जाएं।

उन्होंने कहा कि अगर अमेरिकी सीनेटर 77 वर्ष की आयु में अंतरिक्ष में जा सकता है, तो वह भी जा सकते हैं। आज भी वे शारीरिक रूप से फिट हैं और अपनी फिटनेस पर लगातार काम करते हैं। इसके अलावा उन्होंने खुलासा कि अंतरिक्ष में जाने वाला पहला भारतीय राकेश शर्मा नहीं, वह होते, लेकिन ऐसा क्यों नहीं हो पाया? आइए जानते हैं...

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राकेश शर्मा के बैकअप थे, लेकिन मौका नहीं मिला अंतरिक्ष में जाने का

80 वर्षीय रवीश मल्होत्रा बताते हैं कि 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा के साथ भारत के पहले अंतरिक्ष मिशन के लिए उन्हें भी सेलेक्ट किया गया था। उन्हें उस मिशन पर राकेश शर्मा के बैकअप के रूप में उड़ान भरने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। राकेश शर्मा ने 3 अप्रैल 1984 को सोयूज टी-11 पर उड़ान भरी थी और अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने और यह रिकॉर्ड हमेशा उनके नाम रहेगा।

रवीश मल्होत्रा ने 1984 के अंतरिक्ष मिशन को याद करते हुए कहा कि यह बात पचा पाना कठिन था कि वह अंतरिक्ष में नहीं जा सके, लेकिन यह हमेशा से ज्ञात था कि उनमें से केवल एक राकेश शर्मा और उनके बीच में से एक ही रूसी अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भर सकेगा। हमें जो मौका मिले, उसी में खुश रहना चाहिए, लेकिन मिशन के लिए सेलेक्ट न होने पर झटका जरूर लगा था।

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गगन यात्रियों के सेलेक्शन प्रोसेस में शामिल थे

रवीश मल्होत्रा कहते हैं कि अमेरिकी सीनेटर जॉन ग्लेन 1998 में अंतरिक्ष शटल से अंतरिक्ष जाने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति बने और एक सप्ताह से अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहे। गगनयान मिशन के तहत भारत की योजना मनुष्यों को कम से कम एक दिन के लिए पृथ्वी की सतह से 400 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में भेजने और वापस लाने की है।

गगनयान मिशन के लिए 4 गगन यात्री विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला, ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन, अजीत कृष्णन और अंगद प्रताप को सेलेक्ट किया गया है। शुक्ला और नायर 2025 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर संभावित भारत-अमेरिका मिशन के लिए नासा में प्रशिक्षण भी ले रहे हैं। उम्मीद है कि चारों गगनयात्री बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगे, क्योंकि वे सभी भारतीय वायुसेना में अपने बैच के टॉपर हैं और चारों के लिए यह नया अनुभव होगा।

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समय से पहले ले ली थी रवीश मल्होत्रा ने रिटायरमेंट

रवीश कहते हैं कि वे ​​चारों टेस्ट पायलटों को उनके चुने जाने से पहले से जानते हैं। वे उनकी चयन प्रक्रिया में भी शामिल थे। जब चारों गगन यात्रियों ने बेंगलुरु के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAM) में ट्रेनिंग और सेलेक्शन प्रोसेस में हिस्सा लिया था तो वे सेलेक्शन टीम का हिस्सा थे। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें विश्वास है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 10,000 करोड़ रुपये के गगनयान मिशन को पूरा करने में सक्षम होगा, वे कहे हैं कि हां इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत और इसरो इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करेंगे।

इसरो 2040 तक किसी भारतीय को चंद्रमा पर उतारने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनौती पर खरा उतरेगा। हालांकि अभी बहुत काम किया जाना है, लेकिन यह होगा। बता दें कि रवीश मल्होत्रा ​​ने 1971 में लड़ाकू विमान उड़ाए और पाकिस्तान में हवाई हमलों में भाग लिया। इसके बाद उन्होंने 1995 में एयर कमोडोर के पद पर रहते हुए भारतीय वायुसेना से समय से पहले सेवानिवृत्ति ले ली थी। इसके बाद वे बेंगलुरु स्थित एयरोस्पेस कंपनी डायनामैटिक टेक्नोलॉजीज लिमिटेड में शामिल हो गए।

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