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महाराष्ट्र में 64 साल से कोई महिला CM क्यों नहीं? अलग-अलग राज्यों में 17 बार संभाली है कमान

Maharashtra Women Chief Minister Face: महाराष्ट्र में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हालांकि राज्य को अभी तक कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं मिली है। आखिर इसकी क्या वजह है? आइए जानते हैं...
02:22 PM Oct 21, 2024 IST | Sakshi Pandey
महाराष्ट्र में 64 साल से कोई महिला cm क्यों नहीं  अलग अलग राज्यों में 17 बार संभाली है कमान

Maharashtra Women Chief Minister: महाराष्ट्र में चुनावी शंखनाद हो चुका है। अगले महीने राज्य की 288 सीटों पर मतदान होना है। इस चुनाव में पक्ष और विपक्ष कई मुद्दों को साधने में जुटा है, लेकिन एक मुद्दा हमेशा की तरह सियासी गलियारों में दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। महाराष्ट्र की विधानसभा में महिलाओं की मौजूदगी हमेशा से कम रही है। यूपी के बाद देश में दूसरी सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें महाराष्ट्र में हैं। इसके बावजूद राज्य में कभी कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं बन सकी है, आखिर क्यों? आपको जानकर हैरानी होगी कि 2019 के चुनाव में महज 8-9 प्रतिशत महिलाएं ही जीतकर विधानसभा पहुंची थी।

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288 विधायकों में सिर्फ 24 महिलाएं

पिछले विधानसभा चुनावों की बात करें तो 2019 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 24 सीटों पर महिलाओं की जीत हुई थी और यह अब तक का सबसे ज्यादा नंबर था। 2014 के विधानसभा चुनाव में 20 और 2009 के विधानसभा चुनाव सिर्फ 11 महिलाओं को जीत मिली थी। यह आंकड़े वाकई चौंकाने वाले हैं। ताज्जुब की बात तो यह है कि देश के अमीर राज्यों में शुमार महाराष्ट्र में आज भी महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर कोई बात नहीं करता है।

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17 बार मुख्यमंत्री बनी महिलाएं

महाराष्ट्र को कभी महिला मुख्यमंत्री नहीं मिली, तो वहीं देश के अलग-अलग राज्यों में 17 बार महिलाओं को सूबे की कमान संभालने का मौका मिला है। इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों का नाम भी शामिल है।

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महिला मुख्यमंत्रीराज्य
सुचेका कृपलानीउत्तर प्रदेश
नंदिनी सतपउड़ीसा
शशिकला काकोडकरगोवा
नवरा तैमूरअसम
राजिंदर कौर भट्टलपंजाब
महबूबा मुफ्तीजम्मू कश्मीर
सुषमा स्वराजदिल्ली
शीला दीक्षितदिल्ली
आतिशी मार्लेनादिल्ली
वंसुधरा राजेराजस्थान
मायावतीउत्तर प्रदेश
राबड़ी देवीबिहार
उमा भारतीमध्य प्रदेश
जयललितातमिलनाडु
आनंदीबेन पटेलगुजरात
ममता बनर्जीपश्चिम बंगाल

CM बनने के लिए 2 चीजें जरूरी

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार वरिष्ठ पत्रकार जयदेव अगोये का कहना है कि सीएम बनने के लिए 2 चीजों की जरूरत होती है, पहला विधायकों का समर्थन और दूसरा ताकतवर वोट बैंक। यही वजह है कि यूपी में मायावती, राजस्थान में वसुंधरा राजे और बंगाल में ममता बनर्जी जैसी महिलाएं मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि महाराष्ट्र में पितृसत्तात्मक समाज है, जिसका असर सियासत में भी देखने को मिलता है। जयदेव आगोये का कहना है कि पितृसत्तात्मक समाज की वजह से महिलाएं राजनीति में पीछे रहती हैं। महिलाओं से जुड़े मुद्दों के अलावा उन्हें शायद ही मंच पर कभी बोलते हुए देखा जाता है। सुप्रिया सुले अगर पवार परिवार से नहीं आती, तो शायद उन्हें उनकी पार्टी में इतना महत्व नहीं मिलता।

महिलाओं को नहीं मिलता बड़ा विभाग

मुख्यमंत्री पद तो दूर की बात है, महिलाओं को राज्य में कभी कोई बड़ा मंत्रालय भी नहीं मिला है। महिलाएं बड़ी मुश्किल से मंत्रिमंडल का हिस्सा बनती हैं और उन्हें महिला या पर्यटन से जुड़े विभाग ही सौंपे जाते हैं। कांग्रेस नेता यशोमति ठाकुर के अनुसार महिलाओं को राजनीति में अपनी जगह बनाने के लिए तगड़ा संघर्ष करना पड़ता है। जब मैं पहली बार विधायक बनी, तो भी मेरी तस्वीर कभी किसी बैनर में नहीं लगती थी।

महाराष्ट्र के महिला सीएम चेहरे

1990 तक महाराष्ट्र की सियासत में कांग्रेस का दबदबा देखने को मिला था। इस दौरान प्रतिभा पाटिल, प्रभा राव, प्रेमला चव्हाण और शालिनीताई पाटिल का नाम मुख्यमंत्री चेहरे के लिए सामने आ चुका है। मगर इसके बावजूद राज्य में कभी कोई महिला सीएम नहीं बनी। वर्तमान में सुप्रिया सुले, पंकजा मुंडे, रश्मि ठाकरे, वर्षा गायकवाड़ और यशोमती ठाकुर को महिला सीएम पद का चेहरा माना जाता है। मगर अभी इसके कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं।

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