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अपने बच्चों को क्यों मार देती हैं बाघिन, भूख, असुरक्षा या सिर्फ दुर्घटना, आखिर क्या है वजह?

Why Tigresses Kill Their Cubs: पिछले कुछ समय में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जब शावकों को उनकी माता ने ही मार दिया। इसके पीछे की वजह क्या हैं, आइए जानते हैं।
05:36 PM Dec 12, 2024 IST | Pushpendra Sharma
अपने बच्चों को क्यों मार देती हैं बाघिन  भूख  असुरक्षा या सिर्फ दुर्घटना  आखिर क्या है वजह
फाइल फोटो

Why Tigresses Kill Their Cubs: जंगल में रहने वाले जानवरों की दुनिया अलग ही होती है। यहां के नियम-कायदे अलग होते हैं। जिन्हें कई बार समझना मुश्किल हो जाता है। पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के एक चिड़ियाघर में हुई एक घटना ने लोगों को स्तब्ध कर दिया। जहां एक बाघिन ने अपने तीन नवजात शावकों को मुंह में दबाकर मार डाला। उसके दांतों ने दो शावकों की श्वास नलिका और तीसरे शावक की खोपड़ी को नुकसान पहुंचाया। हालांकि जू अधिकारियों ने इन मौतों को एक एक्सीडेंट ही बताया।

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इसी जू में रीका की बहन कीका के दो शावकों की मौत हो गई थी। कीका का एक शावक जन्म के तुरंत बाद ही मर गया, जबकि दूसरे को गंभीर कुपोषण हो गया था। अब सवाल ये कि क्या ये सिर्फ एक एक्सीडेंट था या फिर इसके पीछे कोई दूसरी बड़ी वजह है। आइए इसके पीछे की वजहों को जानने की कोशिश करते हैं।

नर बाघ के टार्गेट 

दरअसल, माना जाता है कि बाघों में नर जानवर अधिकांश शिशु हत्याओं को अंजाम देता है। नर बाघ प्रतिद्वंद्वी के इलाके और मादाओं पर कब्जा करने के बाद वे पहले के शावकों को मार देते हैं। खास तौर पर इसमें नर शावक मुख्य टार्गेट होते हैं। ताकि भविष्य में होने वाली प्रतिस्पर्धा को रोका जा सके। हालांकि कई बार ये भी थ्योरी सामने आती है कि मादा को भूख लगने के बाद वह अपने बच्चों को ही निवाला बना लेती है, लेकिन ये खरगोश, बिच्छू, मछली, चूहा और मुर्गी जैसे जानवरों में ज्यादा होता है। ऐसा वे अधिक संख्या में बच्चों को बचाने के लिए करते हैं। जिसमें वे कुछ को खा जाते हैं। ताकि अधिक बच्चे होने पर बीमारी फैलने, भोजन और ऑक्सीजन के लिए संघर्ष न करना पड़े।

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कमजोर शावकों को मार देती हैं मादाएं Tigress

दूसरी ओर जानवर अपनी कमजोर संतानों पर संसाधनों का निवेश करना पसंद नहीं करते। यही वजह है कि 'जंगल राज' में सर्वाइव करने के लिए मादाएं अक्सर अपने शावकों को चुन-चुन कर अस्वीकार कर देती हैं। या फिर खुद ही उन्हें मौत के घाट उतार देती हैं। ताकि बाकी बचे बच्चों को बेहतर जीवन जीने का मौका मिल सके। इसका उदाहरण कोलकाता के जू समेत कई उदाहरणों से समझा जा सकता है। साल 2018 के सितम्बर महीने में अलीपुर चिड़ियाघर में एक शेर के बच्चे का वजन बहुत कम था, जिसे उसकी मां श्रुति ने जन्म के दो दिन बाद ही अपने से दूर छोड़ दिया। कुछ ऐसा ही मई 2013 में जमशेदपुर के एक चिड़ियाघर में तेंदुआ बसंती ने किया था। वहीं झारखंड के झारग्राम में तेंदुआ हर्षिनी ने मई 2020 में अपने शावक को मार दिया। इससे पहले उसने छह सप्ताह तक उसे दूध पिलाया था।

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हार्मोनल इम्बैलेंस भी हो सकती है वजह 

ग्वालियर चिड़ियाघर में बाघिन मीना ने कमजोर पैदा हुई शावक को मार दिया। इससे पहले उसी मादा शावक के साथ उसने छह महीने बिताए। इसी तरह सितंबर 2023 में सुमात्रा की बाघिन जायना ने ऑकलैंड चिड़ियाघर में ऐसा किया था। उसने अपने पहले शावक को मार डाला। जबकि जनवरी 2024 में उसने तीन शावकों को जन्म दिया और उन्हें अच्छी तरह से पाला। इसके पीछे एक वजह हार्मोनल इम्बैलेंस की भी बताई गई है।

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शावकों को पालने में संघर्ष 

गर्भधारण और प्रसव के दौरान विशिष्ट हार्मोन सक्रिय होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हार्मोनल इम्बैलेंस की वजह से मादाएं अपने शावकों के प्रति आक्रामक हो सकती हैं। इसमें पहली बार मां बनी मादाओं और बचपन में अनाथ हो चुकी माताओं को अपने शावकों को पालने में परेशानी का अनुभव करना पड़ता है। शायद यही वजह रही कि अगस्त 2019 में जर्मनी के लीपजिग चिड़ियाघर में पहली बार मां बनी शेरनी किगाली ने अपने दो शावकों को खा लिया।

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