CM मोहन यादव ने बुलाई मंत्रि-परिषद की बैठक; कृषि और बिजली को लेकर लिए बड़े फैसले
Madhya Pradesh CM Mohan Yadav: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंगलवार शाम को मंत्रालय में मंत्रि-परिषद की बैठक बुलाई है। इस बैठक में उन्होंने कैबिनेट मंत्रियों के साथ प्रदेश के कई अहम मुद्दों पर चर्चा की, साथ ही कई बड़े फैसले भी लिए हैं। इस बैठक में कैबिन ने खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में धान की मिलिंग के लिए प्रोत्साहन और अपग्रेडेशन राशि और विद्युत वितरण कम्पनियों को रिवेम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम में 40 प्रतिशत राशि अंशपूंजी देने को मंजूरी दी है। इसके अलावा कैबिनेट ने प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (PM-USHA) के संचालन को भी मंजूरी दी है।
आज मंत्रालय में राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' गायन के साथ कैबिनेट की बैठक प्रारंभ हुई... pic.twitter.com/7asv8aauW2
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) December 10, 2024
खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 पर बड़ा फैसला
इस मंत्रि-परिषद की बैठक में खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में धान की मिलिंग के प्रोत्साहन और अपग्रेडेशन राशि को कैबिनेट की स्वीकृति मिल गई है। इस फैसले के तहत 10 रुपये प्रति क्विंटल मिलिंग राशि और 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि प्रोवाइड की जाएगी। इसके साथ ही FCI के प्रति क्विंटल अपग्रेडेशन राशि को भी बढ़ाया गया है। 20 प्रतिशत सब्सिडी FCI को करने पर 40 रुपये और 40 प्रतिशत सब्सिडी FCI को करने पर 120 रुपये प्रति क्विंटल अपग्रेडेशन राशि प्रोवाइड की जाएगी। इससे किसानों के धान की मिलिंग को रफ्तार मिलेगी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत चावल की आपूर्ति सुनिश्चित हो जाने पर राज्य की जरुरत से ज्यादा बचे चावल को केंद्रीय पूल में जल्दी से डिलिवर कर दिया जाएगा।
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इसको भी मिली मंजूरी
इस बैठक में कैबिनेट भारत सरकार की तरफ से जारी रिवेम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत विद्युत वितरण कम्पनियों को राज्यांश से 40 प्रतिशत की राशि का अनुदान देने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ये अनुदान करीब 6 हजार करोड़ रुपये ऋण के स्थान पर दिया जाएगा। इस फैसले के अनुसार, राज्य की विद्युत वितरण कंपनियों को डिस्ट्रीब्यूशन इंफ्रास्ट्रक्चर के अपग्रेशन, डिस्ट्रीब्यूशन लॉस और डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को को मजबूत करने एवं मॉर्डनाइजेशन से जुड़े बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और विकास के लिए राज्यांश की राशि कर्ज की जगह पर अनुदान के तौर प्रोवाइड की जाएगी। इससे राज्य में स्थापित होने वाले स्मार्ट मीटर के काम में तेजी आएगी।