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3 दिन पहले जन्मे बच्चे के पेट में बच्चा मिला, MP से आया मेडिकल साइंस का सबसे दुर्लभ केस

MP Doctor Found a Child in New Born Baby: मध्य प्रदेश के सागर जिले से मेडिकल साइंस का एक दुर्लभ केस सामने आया है। यहां 3 दिन पहले जन्मे बच्चे के पेट में बच्चा मिला है।
08:01 PM Sep 23, 2024 IST | Pooja Mishra
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MP Doctor Found a Child in New Born Baby: मध्य प्रदेश के सागर जिले से मेडिकल साइंस की दुनिया का काफी दुर्लभ मामला सामने आया है। यहां 3 दिन पहले जन्मे बच्चे के पेट में बच्चा मिला है। यकीनन आपको भी इस बात पर भरोसा कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा होगा, जो कि बिल्कुल जायज है, क्योंकि इस दुर्लभ मामले को लेकर डॉक्टर्स भी काफी हैरान हैं। फिलहाल, इस रेयर मामले की वजह से नवजात को जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है।

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नवजात के अंदर पल रहा बच्चा

यह दुर्लभ मामला सागर जिले के केसली थाना का है। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष और प्रोफेसर डॉ. पीपी सिंह ने बताया कि करीब 15 दिन पहले केसली की रहने वाली एक 9 महीने की गर्भवती महिला उनके प्राइवेट क्लिनिक में जांच के लिए आई थी। जांच के दौरान महिला के गर्भ में पल रहे नवजात के अंदर भी एक बच्चे की मौजूदगी का संदेह हुआ। इस पर महिला को फॉलोअप के लिए मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए बुलाया गया। यहां इसके लिए एक स्पेशल जांच की गई। इस जांच की रिपोर्ट में पाया गया कि महिला के गर्भ के अंदर पल रहे बच्चे के अंदर भी एक बच्चा या टेराटोमा है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए डिलीवरी

इस रिपोर्ट के बाद महिला को मेडिकल कॉलेज में ही डिलीवरी करने के लिए कहा गया, क्योंकि महिला को मेडिकल कॉलेज में आशा कार्यकर्ता लेकर आई थी। इसलिए वह वापस केसली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चली गईं। यहां महिला की नॉर्मल डिलीवरी हुई। डिलीवरी के बाद बच्चे को जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है। डॉक्टरों की मानें तो बच्चे की जान बचाने का एकमात्र उपाय सर्जरी है, जिस पर डॉक्टरों की टीम विचार-विमर्श कर रही है।

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क्या है फीट्स इन फीटू?

डॉ. पीपी सिंह के अनुसार, उन्होंने अपने जीवन में यह पहला केस देखा है। मेडिकल हिस्ट्री में इस तरह के केस काफी दुर्लभ हैं। मेडिकल की भाषा में इस कंडीशन को "फीट्स इन फीटू" कहा जाता है। 5 लाख मामलों में इस तरह का 1 केस सामने आता है। हालांकि, अब तक दुनिया में इस तरह के 200 केस ही रिपोर्ट हुए हैं।

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Madhya Pradesh
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