मरे हुए हाथी को पहले सड़ाया, फिर जलाया, हड्डियों के टुकड़े किए... दुर्दांत वनकर्मियों का ऐसे हुआ भंडाफोड़
Madhya Pradesh Bandhavgarh Tiger Reserve: मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक हाथी का शव मिलने के बाद रेंज ऑफिसर और फॉरेस्ट गॉर्ड ने महीने भर चुप्पी साधे रखी। जब हाथी का शव काफी सड़ गया तो उसे जलाया और धारदार हथियार से हाथी के अवशेष के टुकड़े कर जमीन में दबा दिया। इसी हाथी के कंकाल को जलाने की एक तस्वीर वायरल हो गई। इसके बाद एक वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट ने शिकायत दर्ज करा दी।
2022 में हाथी का शव मिलने के दो साल बाद रेंज ऑफिसर शील सिंधु श्रीवास्तव और फॉरेस्ट गॉर्ड कमला प्रसाद कोल और पुष्पेंद्र मिश्रा को इस साल 12 जुलाई को निलंबित कर दिया गया। इन तीनों के खिलाफ अब सतना की स्थानीय अदालत में सुनवाई होगी।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर प्रकाश वर्मा के मुताबिक मामले में एक रेंज ऑफिसर और दो फॉरेस्ट गॉर्ड को निलंबित कर दिया गया। मामले में संलिप्त दो अन्य मजदूरों का भी कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया गया।
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दशकों तक बांधवगढ़ में हाथी नहीं थे। इसकी पहचान टाइगर से जुड़ी है। पिछले कुछ साल से हाथी छत्तीसगढ़ की सीमा को पार कर बांधवगढ़ पहुंचने लगे हैं। ऐसे में हाथियों की सुरक्षा के लिए वनकर्मियों को काफी मेहनत करनी पड़ रही है। मध्य प्रदेश प्रशासन ने हाथी मित्र दल की स्थापना भी की है। बांधवगढ़ में अभी 50 के करीब हाथी हैं।
मामले में टाइगर स्ट्राइक फोर्स के पूर्व प्रमुख धीरज सिंह चौहान की ओर से मई 2023 में दायर रिपोर्ट में कहा गया है कि एक स्थानीय व्यक्ति ने 24 नवंबर 2022 को एक हाथी का शव देखा और इसकी जानकारी फॉरेस्ट गॉर्ड कमला प्रसाद कोल को दी। पनपथ गांव में मिला यह शव पहले ही गल चुका था।
रिपोर्ट के मुताबिक कोल ने पनपथ बफर रेंज के ऑफिसर शील सिंधु श्रीवास्तव को इसकी जानकारी दी। इस पर श्रीवास्तव ने कोल से हाथी का शव जस का तस रहने देने की बात कही। हालांकि श्रीवास्तव ने किसी भी सीनियर अधिकारी को इस बात की जानकारी नहीं दी। एक महीने बाद कोल ने श्रीवास्तव से कहा कि हाथी का शव लगभग गल चुका है। सिर्फ सड़ा हुआ चमड़ा और हड्डियां बची है।
सबूत मिटाने के लिए जमीन में दबाया
रिपोर्ट के मुताबिक रेंज ऑफिसर ने हाथी के बचे हुए अवशेष को उसी स्थान पर जलाने का निर्देश कोल को दिया। इसके बाद कमला प्रसाद कोल और अन्य ने जंगल से लकड़ियां बटोरीं और हाथी के बचे हुए अवशेष और हड्डियों को जला दिया। हालांकि जलाने के बाद भी हड्डियां राख नहीं हुईं। अगले दिन कोल, फॉरेस्ट गॉर्ड पुष्पेंद्र नाथ मिश्रा और तीन अन्य कामगारों ने हड्डियों के छोटे-छोटे टुकड़े किए और उसकी महक को खत्म करने के लिए जंगल के अलग-अलग हिस्सों में जमीन के नीचे दबा दिया।
हालांकि हाथी का अवशेष जलाने की प्रक्रिया में एक वर्कर दिनेश कोल ने अपने मोबाइल पर इसका फोटो खींच लिया। यही फोटो वायरल हो गई जिसकी बिनाह पर वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने मामले में शिकायत दर्ज करा दी। दुबे का आरोप था कि आपराधिक लापरवाही और पर्याप्त पेट्रोलिंग न होने की वजह से हाथियों का अवैध शिकार हो रहा है और उनके सबूत जलाए जा रहे हैं।
डॉग स्क्वॉड ने की हड्डियों के महक की पहचान
शुरुआती जांच में चीफ फॉरेस्ट कंजर्वेटर और एरिया डायरेक्टर बांधवगढ़ ने कहा कि डॉग स्क्वॉड की मदद से हड्डियों के महक की पहचान की गई है। लेकिन हाथी की मौत और उसके जलाए जाने का कोई सबूत नहीं मिला है। अधिकारी ने यह भी कहा कि वायरल फोटो की स्थिति की वास्तविक तस्वीर बयान नहीं करती है।
इसके बाद इस मामले की जांच सब डिवीजनल ऑफिसर फतेह सिंह निनामा, स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने भी की। जबलपुर से वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की टीम भी जांच करने पहुंचीं।
भोपाल और जबलपुर से एसटीएफ की ज्वाइंट टीम पनपथ रेंज के घोरीघाट गांव पहुंचीं। टीम ने फॉरेस्ट गॉर्ड कोल और सिक्योरिटी वर्कर बेलानी कोल से पूछताछ की। शुरुआती पूछताछ में इन दोनों ने स्वीकार किया कि अन्य लोगों की मदद से उन्होंने हाथी के शव को जलाया और बाद में उसके अवशेष को जंगल में कई जगहों पर जमीन के नीचे दबा दिया।
वन अधिकारी पर गिरी गाज
जांचकर्ताओं ने इन दोनों को जंगल में ले जाकर उन जगहों की पहचान की, जहां हाथी के अवशेष दबाए गए थे। 6 फरवरी 2024 को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के चीफ फॉरेस्ट कंजर्वेटर और फील्ड डायरेक्टर ने शील सिंधु श्रीवास्तव को निलंबित करने का आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया कि श्रीवास्तव ने अपनी जिम्मेदारी का सही ढंग से पालन नहीं किया। वरिष्ठ अधिकारियों को हाथी का शव मिलने की जानकारी नहीं दी। नियम-कानूनों का पालन नहीं किया और हाथी के शव को नष्ट कर दिया। मामले को वरिष्ठ अधिकारियों से छुपाया और गलत जानकारी दी।
हालांकि बाद में शील सिंधु श्रीवास्तव को ड्यूटी पर वापस बुलाया गया, लेकिन 12 जुलाई को मामले में चार्जशीट दायर किए जाने के बाद उन्हें और दो अन्य फॉरेस्ट गॉर्ड को फिर निलंबित कर दिया गया। एक्टिविस्ट दुबे ने पूरे प्रकरण पर कहा कि धीमी जांच का मतलब है कि हाथियों की मौत कैसे हुई इसको लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। और इससे संदेह पैदा होता है कि क्या हाथी का शिकार किया गया था?