Madhya Pradesh Become Digital: मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार प्रदेश के विकास के लिए लगातार काम कर रही है, उनका यह काम अब रंग लाता भी दिखाई दे रहा है। दरअसल, मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां डिजिटली तौर पर समन और वारंट जारी किए जाएंगे। राज्य सरकार की तरफ से समन और वारंट के डिजिटल जारी करने की अनुमति दे दी गई है। इस पहल के साथ अब राज्य में न्यायिक प्रक्रियाओं में ईमेल, व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग ऐप और टेक्स्ट मैसेज जैसे इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से समन और वारंट जारी होंगे।
डिजिटल हुआ मध्य प्रदेश
इसके लिए राज्य के गृह विभाग की तरफ से गजट अधिसूचना जारी की गई है। इसके अनुसार ये नए नियम तब लागू होंगे जब संबंधित व्यक्ति व्हाट्सएप, ईमेल या टेक्स्ट मैसेजिंग जैसे बाकी के डिजिटल कम्युनिकेशन का इस्तेमाल करता हो। हालांकि, डिजिटल कम्युनिकेशन सर्विस का इस्तेमाल न करने वाले व्यक्तियों (अभियुक्त, गवाह या शिकायतकर्ता) के लिए पुलिस स्टेशन के कर्मचारियों द्वारा पारंपरिक तरीके से गी समन और वारंट जारी किए जाते रहेंगे।
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क्या कहते हैं नये नियमों?
नये नियमों के तहत अगर किसी व्यक्ति के इलेक्ट्रॉनिक पते पर ईमेल पर समन या वारंट भेजा जाता है और अगर मेल सर्वर से कोई बाउंस बैक या त्रुटि संदेश नहीं आता है, तो इसे प्रभावी रूप से समन या वारंट की तामील माना जाएगा। नियमों में स्पष्ट रूप से प्रावधान किया गया है कि भारतीय न्याय संहिता (2023 का 45) की धारा 64 से 71 के अंतर्गत अपराधों या महिलाओं या बच्चों के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामलों में यदि कोई आदेश जारी किया जाता है तो ऐसे में पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी का यह काम है कि वह सुनिश्चित करे कि ऑडर की तामील या निष्पादन के दौरान किसी भी तरह से पीड़ित की पहचान उजागर न हो।