Madhya Pradesh: उज्जैन में राष्ट्रपति मुर्मू ने किए बाबा महाकाल के दर्शन, कार्यक्रम में किया सफाई मित्रों का सम्मान
President Murmu Visit Ujjain: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पहली बार विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन पहुंचीं। राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री मोहन यादव और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने उनकी अगवानी की। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सीधे कार्यक्रम स्थल होटल रूद्राक्ष पहुंचीं, जहां उन्होंने सफाई मित्रों का सम्मान किया और उज्जैन-इंदौर सिक्स लेन का भूमि पूजन भी किया।
सफाई कर्मियों के सम्मान के दौरान राष्ट्रपति ने अपने संबोधन की शुरुआत "जय श्री महाकाल" के साथ की। उन्होंने कहा कि महाकाल की नगरी उज्जैन में सदियों से संस्कृति और सभ्यता की परंपरा निरंतर बनी हुई है। उज्जैन अंतरराष्ट्रीय व्यापार का केंद्र भी रहा है। इस दौरान उन्होंने बताया कि उनकी जनसेवा यात्रा स्वच्छता के कार्य से ही शुरू हुई थी। नोटिफाइड एरिया काउंसिल की अध्यक्ष रहते हुए वे प्रतिदिन एक वार्ड से दूसरे वार्ड जाकर सफाई कार्य का निरीक्षण करती थीं। पिछले 10 सालों में स्वच्छता अभियान देशव्यापी बन गया है, जिससे काफी परिवर्तन आया है।
सफाई मित्रों का सम्मान
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि इंदौर लगातार 7वीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बना है, जो गौरव की बात है। उज्जैन भी नए मानदंड गढ़ रहा है, जिसमें स्वच्छता मित्रों का अहम योगदान है। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने रश्मि टांकले (वार्ड क्रमांक 13), किरण खोड़े (वार्ड क्रमांक 14), शोभा घावरी (वार्ड क्रमांक 33), अनीता चावरे (वार्ड क्रमांक 38) और गोपाल खरे (वार्ड क्रमांक 47) का सम्मान किया। इस दौरान कायक्रर्म के राज्यपाल मंगू भाई पटेल, सीएम मोहन यादव, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, तुलसीराम सिलावट और प्रतिमा बागरी भी मंचासीन रहे।
रेटिंग से हिसाब से देंगे रुपये- सीएम मोहन
सम्मान समरोह में सीएम मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में स्वच्छता कर्मचारियों को केंद्र सरकार द्वारा उनके शहर की रेटिंग के हिसाब से रुपये दिए जाएंगे। उज्जैन को तीन रेटिंग मिली है, इसलिए यहां के सफाईकर्मियों को 3 हजार रुपये दिए जाएंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की यह पहली उज्जैन यात्रा है, जिसमें उन्होंने महाकालेश्वर मंदिर में अभिषेक-पूजन किया और मंदिर परिसर में श्रमदान किया। उन्होंने महाकाल महालोक का भ्रमण कर पाषाण से भगवान शिव और सप्त ऋषि की मूर्तियां बनाते हुए पुरी (Odisha) के शिल्पकारों से संवाद किया।
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