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MP Vijaypur By Election Result: 3 पॉइंट्स में समझें बीजेपी क्यों हारी, कांग्रेस ने कैसे बचाई अपनी साख?

MP Vijaypur By-Election Result 2024: विजयपुर में कांग्रेस की जीत से ज्यादा बीजेपी की हार की चर्चाएं ज्यादा हो रही है। बीजेपी विजयपुर उपचुनाव हार गई है। वहीं, कांग्रेस के मुकेश मल्होत्रा ने बीजेपी के राम निवास रावत को पछाड दिया।
05:44 PM Nov 23, 2024 IST | Deepti Sharma
mp vijaypur by election result  3 पॉइंट्स में समझें बीजेपी क्यों हारी  कांग्रेस ने कैसे बचाई अपनी साख
MP Vijaypur By-Election Result 2024

MP Vijaypur By-Election Result 2024(अभिलाष मिश्रा): मध्य प्रदेश में दो सीटों पर उपचुनाव हुए थे। वहीं, काउंटिंग के बाद विजयपुर सीट (Vijaypur Seat) ने सबको हैरान कर दिया, यहां सबसे बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। आपको बता दें, विजयपुर में कांग्रेस की जीत से ज्यादा चर्चा बीजेपी की हार की हो रही है।

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6 बार कांग्रेस को ये सीट से जिताने वाले रामनिवास रावत जैसे ही बीजेपी में आए, विजयपुर की जनता ने उनका साथ छोड़ दिया। हालांकि, बीजेपी ने उनकी जीत को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मंत्री पद से नवाजा भी था, लेकिन वोटर ने यहां से एक कैबिनेट मंत्री को हराकर मुकेश मल्होत्रा जैसे कांग्रेस प्रत्याशी को पहली जीत दिला दी।

विजयपुर की जनता का माइंडसेट कांग्रेस के साथ है, लेकिन बीजेपी का संगठन, डबल इंजन की सरकार दोनों मिलकर अगर जीत नहीं दिला पाए तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बीजेपी की अंदरूनी सियासत मानी जा रही है।

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BJP की हार की जिम्मेदार BJP

सियासत में कई बार बड़े फायदे के लिए छोटे नुकसान करवा लिए जाते हैं। विजयपुर की हार को उसी रूप में देखा जा रहा है। इतने सारे फैक्टर फेवर में होने के बाद भी बीजेपी हारी है, तो क्यों हारी? कहा जाता है कि विजयपुर हारकर तीन ध्येय एक साथ साधे गए हैं। बीजेपी की अंदरूनी सियासत के 3 टारगेट को एक ही तीर से पूरा कर लिया गया है। आइए एक-एक कर समझते हैं कि विजयपुर में हुई हार से बीजेपी में क्या 3 बड़े फर्क पड़ेंगे।

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सिंधिया का प्रभाव कम होगा

रामनिवास रावत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्व.माधवराव सिंधिया के करीबी रहे हैं। सीनियर सिंधिया के बाद वो ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़े, लेकिन सिंधिया ने जब अपने कई समर्थकों के साथ बीजेपी ज्वाइन की तब लाख मनाने के बाद भी राम निवास रावत ने कांग्रेस नहीं छोड़ी थी। हालांकि, उसके बाद बीजेपी संगठन के मनाने पर लोकसभा चुनाव में रावत ने बीजेपी का दामन थाम ही लिया।

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इसका मतलब सिंधिया के बुलाने पर बीजेपी में नहीं आए ,और बाद में मंत्री पद के ऑफर पर बीजेपी ज्वाइन कर ली। इसी बात से सिंधिया और रावत के बीच तल्खी इतनी बढ़ गई की स्टार प्रचारक होने और अपने ही क्षेत्र में उपचुनाव होने के बाद भी सिंधिया ने एक दिन भी रावत के लिए प्रचार नहीं किया।

विजयपुर में सिंधिया समर्थकों ने भी रावत को वो सहयोग नहीं दिया, जो वो दे सकते थे। आरोप तो यहां तक लगे की उन्होंने रावत के खिलाफ काम कर इस हार में बड़ा रोल प्ले किया है।

इस हार के बाद आलाकमान के सामने सिंधिया के खिलाफ माहौल बनाने में मदद मिलेगी। बीजेरी का पुराना और जमीनी कार्यकर्ता और कैडर चाहता है कि प्रदेश में शिवराज काल के बाद अब सिंधिया का असर भी कम होना चाहिए। ऐसे में विजयपुर की इस हार के लिए सिंधिया समर्थकों पर ठीकरा फोड़कर उनके खिलाफ माहौल बनाया जा सकता है।

प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का ट्रैक रिकॉर्ड हुआ दाग़दार

प्रदेश बीजेपी के शुभंकर माने जाने वाले प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा जब से इस पद पर आए हैं, लगातार चुनाव जिताते रहे हैं। उन्होंने वोट प्रतिशत,सीटों पर जीत, सदस्यता अभियान जैसे हर क्षेत्र में पुराने रिकॉर्ड तोड़ कर नए कीर्तिमान रचे हैं। इस बीच वीडी शर्मा की जगह बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी पेंडिंग है।

वीडी शर्मा को अपने पद पर एक्सटेंशन मिल चुका है, लेकिन अगर शानदार रिकॉर्ड वाले वीडी शर्मा को हटाया जाता है तो नैतिकता का तकाजा आड़े आता है पर अब इस हार के बाद शर्मा की विदाई की जमीन तैयार कर ली गई है। अब आलाकमान को भी नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी में आसानी होगी।

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पैराशूट लैंडिंग कराने से बचेगा आलाकमान

बीजेपी प्रत्याशी रामनिवास रावत 6 बार कांग्रेस से विधायक रहे, लेकिन बीजेपी ने उन्हें आयातित कर सीधे मंत्री बनाया और फिर उपचुनाव में अपना प्रत्याशी भी बनाया। जाहिर सी बात है 5 दशक से रावत के खिलाफ चुनाव लड़ रहे और हार रहे बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ताओं के लिए ये झटका बड़ा था।

मध्य प्रदेश BJP का सबसे मजबूत गढ़ है ये बात हर कोई जानता है। इसीलिए बीजेपी आलाकमान यहां इस्तेमाल करने में जरा भी नहीं कतराता है। सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद से एक-एक कर कांग्रेस और दूसरे दलों से कई नेता लगातार बीजेपी में शामिल होते रहे और उन्हें सीधे टिकट देकर चुनाव लड़ाया जाता रहा।

बीजेपी के पुराने कार्ड को अखरती रही है। फिलहाल, विजयपुर की इस हार के बाद आलाकमान को सोच समझ कर प्रत्याशी तय करने होंगे। खासतौर पर बिना संगठन और सरकार की मर्जी को आलाकमान अब किसी भी प्रत्याशी पर दांव लगाने से पहले कई बार जरूर सोचेगा।

कुल मिलाकर विजयपुर की ये हार तात्कालिक तौर पर भले ही बीजेपी के लिए झटका नजर आ रही हो, लेकिन इस दूरगामी असर प्रदेश संगठन और मोहन सरकार दोनों के लिए राहत लेकर आता नजर आ रहा है।

उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के लिए यह जीत एक संजीवनी की तरह काम करेगी। हाल के दिनों में वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी की खबरों के बीच पटवारी की नई टीम के लिए ये जीत भी बूस्टर डोज का काम करेगी।

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