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बुद्धि औसत से कम तो महिला मां बन सकती है या नहीं... बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिए ये आदेश

Bombay High Court News: अपनी बेटी के गर्भपात की मंजूरी के लिए एक पिता ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पिता के अनुसार उसकी बेटी 20 सप्ताह से ज्यादा की गर्भवती है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बड़ी बातें कहीं।
06:53 PM Jan 08, 2025 IST | Parmod chaudhary
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Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए एक अजीबोगरीब मामला पहुंचा है। एक पिता ने अपनी गर्भवती बेटी के गर्भपात की इजाजत मांगी है। 66 साल के पिता ने कोर्ट को बताया कि उसकी 27 साल की दत्तक बेटी 20 सप्ताह से अधिक की गर्भवती है। वह मानसिक तौर पर अन्य लड़कियों की तरह सामान्य बुद्धि की नहीं है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट में महिला ने खुद गर्भपात के लिए सहमति देने से मना कर दिया। पिता के अनुसार बेटी यह नहीं बता पा रही थी कि पेट में पल रहा बच्चा किसका है? इसी वजह से गर्भपात की इजाजत लेने के लिए हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। हालांकि बुधवार को सुनवाई से पहले महिला ने बता दिया था कि बच्चा किसका है?

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मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस रवींद्र वी घुगे और जस्टिस राजेश एस पाटिल की खंडपीठ ने माता-पिता को फटकार लगाई। कोर्ट ने सवाल उठाए कि उन लोगों ने बेटी को देर रात तक बाहर रहने की परमिशन क्यों दी? यह किस तरह का पालन-पोषण है? न्यायालय ने जेजे अस्पताल के मेडिकल बोर्ड को आदेश दिए कि वे भ्रूण का मूल्यांकन करें। पहले मामले को 6 जनवरी तक स्थगित किया गया था। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई के लिए 8 जनवरी की तिथि मुकर्रर की थी। बोर्ड ने कोर्ट को बताया था कि चिकित्सकीय प्रक्रिया में समय लगेगा।

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बुधवार को मेडिकल बोर्ड ने कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिसमें बताया गया कि महिला मानसिक तौर पर ठीक है। उसका आईक्यू 75 फीसदी सही है। माता-पिता ने अभी तक उसका इलाज किसी मनोचिकित्सक से नहीं करवाया। सिर्फ 2011 से उसे दवा दिलवाई जा रही है। कोर्ट ने पिता से सवाल किए कि क्या बौद्धिक रूप से विकलांग महिला को मां बनने का अधिकार नहीं है?

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महिला बच्चे को जन्म देने के लिए फिट

बोर्ड के रिपोर्ट के अनुसार महिला बच्चे को जन्म देने के लिए पूरी तरह फिट है। हालांकि उसका गर्भपात भी किया जा सकता है। यह सब कोर्ट को देखना है। अतिरिक्त सरकारी वकील प्राची टाटके ने कोर्ट में कहा कि गर्भवती महिला की अनुमति का भी ख्याल रखा जाए। कोर्ट ने कहा कि हम सब इंसान हैं, जिनकी बुद्धि का स्तर अलग-अलग है। उसकी बुद्धि औसत से कम है, सिर्फ इसी आधार पर गर्भपात की अनुमति नहीं दे सकते। यह कानून की खिलाफत होगी।

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20 सप्ताह से ज्यादा की गर्भवती होने पर महिला के गर्भपात की इजाजत तब दी जाती है, जब वह मानसिक तौर पर बीमार हो। लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है। सिर्फ महिला के आईक्यू पर सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ता के वकील के अनुसार महिला ने अब उस आदमी की पहचान भी माता-पिता को बता दी है, जिसके साथ वह रिश्ते में है। कोर्ट ने आदेश दिए कि माता-पिता उस आदमी से जाकर मिलें, ताकि पता लग सके कि वह शादी के लिए तैयार है या नहीं। दोनों वयस्क हैं, दोनों के बीच रिश्ता बनना अपराध नहीं है। महिला जब पांच माह की बच्ची थी, तब उसे याचिकाकर्ता ने गोद लिया था। न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तिथि मुकर्रर की है।

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