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क्या है ‘रिलेटिव इंपोटेंसी’, जिसे आधार मान हाई कोर्ट ने दंपति की शादी को किया निरस्त

High court declares marriage invalid on grounds of relative impotency: पेश मामले में मार्च 2023 में दंपति की शादी हुई थी। शादी के करीब 17 दिन बाद ही दोनों अलग हो गए थे। निचली अदालत में दंपति ने याचिका दायर कर कहा था कि उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं बने।
07:57 PM Apr 21, 2024 IST | Amit Kasana
क्या है ‘रिलेटिव इंपोटेंसी’  जिसे आधार मान हाई कोर्ट ने दंपति की शादी को किया निरस्त
प्रतिकात्मक फोटो

High court declares marriage invalid on grounds of relative impotency: मुंबई हाई कोर्ट ने रिलेटिव इंपोटेंसी को आधार मानकर एक युवा दंपति की शादी को निरस्त करने का आदेश दिया है। अदालत की औरंगाबाद पीठ के जस्टिस विभा कांकणवाड़ी और जस्टिस एस जी चपलगांवकर की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है।

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दरअसल, अदालत ने निचली अदालत के उस फैसले को रद्द किया है, जिसमें दंपति के रिलेटिव इंपोटेंसी को आधार बनाकर तालाक देने की अपील की थी। निचली अदालत ने दंपति की याचिका खारिज कर दी थी। अब हाई कोर्ट ने न केवल निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया बल्कि दंपति की शादी को भी निरस्त कर दिया है।

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क्या है रिलेटिव इंपोटेंसी ?

डॉक्टरों के अनुसार ये सामान्य नपुंसकता से अलग है। इसमें व्यक्ति किसी एक व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने में असमर्थ होता है,  लेकिन उस समय वो किसी अन्य शख्स के साथ यौन संबंध बनाने में खुद को सक्षम पाता है।

अदालत ने अपने ऑर्डर में ये कहा

अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में दंपति की मदद करने की जरूरत है। वे दोनों शादी के बाद एक-दूसरे के साथ मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ पाए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि रिलेटिव इंपोटेंसी के बारे में डॉक्टरों को पता है। इसकी विभिन्न शारीरिक और मानसिक वजह हो सकती हैं। कोर्ट ने कहा कि पेश मामले में पति को अपनी पत्नी के प्रति रिलेटिव इंपोटेंसी है। विवाह जारी न रह पाने की वजह प्रत्यक्ष तौर पर पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बना पाने में पति की अक्षमता है।

क्या है पूरा मामला

पेश मामले में मार्च 2023 में दंपति की शादी हुई थी। शादी के करीब 17 दिन बाद ही दोनों अलग हो गए थे। निचली अदालत में दंपति ने याचिका दायर कर कहा था कि उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं बने। महिला ने कहा था कि उसके पति ने उसके साथ यौन संबंध बनाने से इनकार कर दिया है, ऐसे में उसे तालाक दिया जाए। निचली अदालत ने उनकी ये याचिका खारिज कर दी, जिसे मुंबई हाई कोर्ट में चैलेंज किया गया था।

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