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263 करोड़ का ITR घोटाला... IPS अधिकारी के पति की बेल अर्जी खारिज, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

ITR Scam Latest Update: 263 करोड़ के ITR घोटाले में आरोपी वरिष्ठ आईपीएस अफसर के पति को जमानत देने से न्यायालय ने इनकार कर दिया। कोर्ट में आरोपी ने दलीलें दी थीं कि उनको गलत तरीके से फंसाया गया। मामला मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट से जुड़ा है।
08:25 PM Dec 17, 2024 IST | Parmod chaudhary
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ITR Scam: मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत मामलों को निपटाने वाली मुंबई की एक विशेष अदालत में सोमवार को 263 करोड़ रुपये के आयकर रिफंड धोखाधड़ी मामले में सुनवाई हुई। मामले में गिरफ्तार एक वरिष्ठ IPS अधिकारी के पति पुरुषोत्तम चव्हाण की बेल अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ सबूत हैं कि गलत तरीके से पैसा जुटाया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस साल मई में चव्हाण को अरेस्ट किया था। एजेंसी ने दावा किया था कि चव्हाण ने पूर्व वरिष्ठ सहायक टैक्स असिस्टेंट तानाजी अधिकारी और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर 263.95 करोड़ की धोखाधड़ी की।

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ये पैसा कर कटौती (TDS) के नाम पर रिफंड के तौर पर जारी किया गया था। चव्हाण ने बेल अर्जी दाखिल करते समय दावा किया कि उनका नाम सीधे तौर पर किसी FIR या आरोप पत्र में नहीं था। उनके खिलाफ सिर्फ सह आरोपी ने बयान दिया है। इसके आधार पर उनको गिरफ्तार किया गया है। उनके खिलाफ और कोई सबूत नहीं है। उनको अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया है।

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धन के लेन-देन में सीधे तौर पर उनकी भूमिका सामने नहीं आई है। वहीं, ईडी की ओर से पहले दावा किया गया था कि सह आरोपी बत्रेजा ने स्वीकार किया था कि पूर्व अधिकारी से उन्हें 10.40 करोड़ रुपये मिले थे। यह पैसा अलग-अलग टाइम पर चव्हाण को दिया गया। ये सारा पैसा गैरकानूनी तरीके से जुटाया गया था। ईडी ने आरोप लगाया था कि चव्हाण ने दुबई में अपनी फर्म बनाकर पैसा बत्रेजा के खाते से निकाला। यह कंपनी सिर्फ इसलिए बनाई गई कि गैरकानूनी ढंग से अर्जित किया पैसा इधर-उधर खपाया जा सके।

डिमांड करने से नहीं मिल सकती बेल

बेल अर्जी पर सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश एसी डागा ने कहा कि सिर्फ बत्रेजा का बयान ही चव्हाण के खिलाफ पहला सबूत है। न्यायालय ने कहा कि बत्रेजा ने बयान दिया था कि आरोपी ने मामले में 11 करोड़ की डिमांड की थी। 10.40 करोड़ उसको दिए भी जा चुके थे। चव्हाण ने बेल अर्जी में अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला भी दिया। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ डिमांड करने से ही बीमार या अशक्त व्यक्ति को बेल नहीं दी जा सकती। बीमारी का कारण क्या है, क्या जेल में रहते हुए तबीयत बिगड़ी है? यह सब देखने की जरूरत है। कोर्ट को नहीं लगता कि सिर्फ जेल में रहने से ही आवेदक की तबीयत बिगड़ी है।

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Mumbai News
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