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महाराष्ट्र में कम सीटों पर चुनाव लड़ना BJP की मजबूरी या स्ट्रेटेजी, समझें पूरा समीकरण

Maharashtra Assembly Election 2024 : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं। नामांकन की प्रक्रिया खत्म होने के बाद अब राजनीतिक दलों के दिग्गज नेता चुनाव प्रचार में जुटेंगे। अब सवाल उठ रहा है कि इस बार बीजेपी कम सीटों पर चुनाव क्यों लड़ रही है?
07:12 PM Oct 30, 2024 IST | Deepak Pandey
महाराष्ट्र में कम सीटों पर चुनाव लड़ना bjp की मजबूरी या स्ट्रेटेजी  समझें पूरा समीकरण
Maharashtra Assembly Election 2024

Maharashtra Assembly Election 2024 (कुमार गौरव, दिल्ली) : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन खत्म हो चुका है और दिवाली के बाद बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के दोनों गुटों के तमाम बड़े नेता राज्य में चुनावी रैलियां और धुआंधार चुनाव प्रचार करते दिखाई देंगे। भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस बार महाराष्ट्र की 288 सीटों में से सिर्फ 148 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 2019 के चुनाव के मुकाबले बीजेपी इस बार 15 सीटों पर कम चुनाव लड़ रही है, जबकि एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना ने 80 सीट और अजीत पवार गुट की एनसीपी ने 53 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। अन्य महायुति सहयोगियों को 5 सीटें दी गईं, जबकि दो सेगमेंट पर कोई फैसला नहीं लिया गया। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार बीजेपी ने किस मजबूरी के तहत कम सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं?

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भाजपा सूत्रों के मुताबिक, इस बार राज्य में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर काफी ज्यादा है। साथ ही भाजपा ने कम से कम 10 सीटों पर अपने सहयोगी दलों के साथ उम्मीदवारों की अदला बदली की है, जिससे बीजेपी का स्ट्राइक रेट कायम रहे। आपको बता दें कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में 28 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद बीजेपी को सिर्फ 9 सीटों पर जीत मिली थी। वोट प्रतिशत के हिसाब से पार्टी को 26.4 प्रतिशत वोट शेयर हासिल हुआ था।

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लोकसभा चुनाव में बीजेपी का रहा खराब प्रदर्शन

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अगर 2019 के लोकसभा चुनाव से भाजपा के चुनावी प्रदर्शन की तुलना करें तो यह निश्चित रूप से खराब रहा था। महायुति के घटक दलों की बात करें तो एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 13 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 15 सीटों पर चुनाव लड़ा और 7 सीटें जीतीं। अजित पवार की एनसीपी ने 3.6 प्रतिशत वोट शेयर के साथ चार सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ एक सीट जीती। 2019 में बीजेपी को 27.8 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2024 में मिले वोट शेयर से थोड़ा ज्यादा है। कांग्रेस को 16.4% वोट मिले थे, जबकि अविभाजित शिवसेना और एनसीपी ने क्रमशः 23.5 प्रतिशत और 15.7 प्रतिशत वोट हासिल किए थे।

अन्य दलों से ज्यादा रहा वोट शेयर

2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी का वोट शेयर अन्य दलों से ज्यादा रहा। ऐसे में राजनीतिक पंडितों का मानना है कि शिवसेना शिंदे और अजित पवार की पार्टी महाराष्ट्र में लोकल मुद्दों पर भारी पड़ सकती हैं। बीजेपी का कहना है कि वे पहले भी गठबंधन में नंबर वन थे और आज भी गठबंधन में नंबर वन पार्टी है।

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बीजेपी ने सहयोगी दलों को दीं ज्यादा सीटें

महाराष्ट्र में भाजपा को बड़ी संख्या में मराठा वोट भी मिलते हैं। राज्य में मराठा आरक्षण एक बड़ा मुद्दा है। आरक्षण का ठिकरा बीजेपी के सिर न फूटे, इसलिए पार्टी मराठी मुद्दों से परहेज कर रही है और सबसे बड़ी बात यह है कि जो जहां से जीत सकता है, उस आधार पर सीट बांटी गई है। 2019 में बीजेपी का अविभाजित शिवसेना के साथ गठबंधन था, तब पार्टी ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा और 25.8 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया। ऐसे में बीजेपी ने इस बार अपने दोनों नए सहयोगियों को न सिर्फ ज्यादा सीटें दीं, बल्कि बड़े पैमाने पर बीजेपी के उम्मीदवार शिवसेना और अजीत पवार की पार्टी से चुनावी मैदान में हैं।

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