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महाराष्ट्र चुनाव 2024ः शिंदे-अजित की बगावत, शिवसेना-NCP दो फाड़, 2019 के चुनाव से कितनी अलग इस बार की लड़ाई

Eknath Shinde Ajit pawar Rebellion: महाराष्ट्र का चुनाव इस बार के चुनाव से काफी अलग है। पिछली बार 4 बड़ी पार्टियां मैदान में थी लेकिन इस बार 6 बड़ी पार्टियां मैदान में हैं। वहीं इस बार शिवसेना और बीजेपी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं।
11:13 AM Oct 18, 2024 IST | Rakesh Choudhary
महाराष्ट्र चुनाव 2024ः शिंदे अजित की बगावत  शिवसेना ncp दो फाड़  2019 के चुनाव से कितनी अलग इस बार की लड़ाई
how 2024 Election different from 2019 election

Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 का शंखनाद हो चुका है। प्रदेश की 288 सीटों पर 20 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होना है, जबकि नतीजे 23 नवंबर को जारी किए जाएंगे। दोनों ही गठबंधन सीटों के बंटवारे और टिकट वितरण को फाइनल टच देने में जुटे हैं। कुछ सीटों को लेकर विशेष रणनीति बनाई जा रही है, इसलिए दोनों गठबंधन की ओर से अभी टिकट बंटवारे को लेकर कुछ नहीं कहा जा रहा है। हालांकि इसको लेकर भी जल्द ही सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। ऐसे में आइये जानते हैं 2019 के चुनाव से कितना अलग है 2024 का विधानसभा चुनाव।

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1. शिवसेना और बीजेपी ने 2019 का चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। बीजेपी ने 105 सीटें जीतीं जबकि शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की। महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन चाहिए। दोनों दलों के पास 161 विधायक थे, फिर भी सरकार नहीं बनी। इसकी एक ही वजह थी कि सीएम पद को लेकर दोनों दलों के बीच झगड़ा। इसके बाद शिवसेना के उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली।

शिवसेना और बीजेपी 1984 में हार्ड हिंदुत्व के एजेंडे पर साथ आई और कई बार मिलकर सरकार बनाई, लेकिन 2014 में दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, हालांकि सरकार दोनों ने मिलकर बनाई। 2019 में भी दोनों ने साथ चुनाव लड़ा लेकिन सीएम पद को लेकर सहमति नहीं बन पाने से उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनीसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली।

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2. शिवसेना में दरार

उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई तो कई शिवसेना के विधायक ऐसे थे जोकि इसके खिलाफ थे। वजह थी बाला साहेब ठाकरे के सिद्धांतों से समझौता नहीं करना। बाला साहेब ने कांग्रेस के विरोध में नई पार्टी बनाई लेकिन उद्धव ने सत्ता के लिए कांग्रेस से हाथ मिला लिया। इस प्रकार के बयान एकनाथ शिंदे की ओर से दिए जाने लगे। प्रदेश में ढाई साल सरकार चला चुके उद्धव को भनक तक नहीं लगी और शिंदे ने पार्टी में बगावत कर दी। मई 2022 में एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ बगावत कर दी। राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने को कहा। बहुमत परीक्षण से पहले ही उद्धव ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद शिवसेना के नाम और सिंबल पर फैसला भी चुनाव आयोग ने शिंदे गुट के पक्ष में दे दिया। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने सीएम के तौर पर शपथ ले ली।

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3. एनसीपी हुई दो फाड़

एनसीपी के 25वें स्थापना दिवस पर 10 जून 2023 को शरद पवार ने पार्टी के दो कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले के नाम की घोषणा कर दी। जब पत्रकारों ने शरद पवार से अजित के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वे फिलहाल नेता विपक्ष का पद संभाल रहे हैं। इसके बाद 2 जुलाई 2023 को अजित पवार 41 विधायकों के साथ महायुति में शामिल हो गए और डिप्टी सीएम बन गए। पार्टी में दो धड़े बनने के बाद चुनाव चिन्ह और पार्टी के नाम को लेकर इलेक्शन कमीशन ने फैसला अजित पवार के पक्ष में दिया। वहीं शरद पवार गुट को तुरही वादक चुनाव चिन्ह मिला।

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