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NDA vs MVA: महाराष्ट्र में ज्यादा वोटिंग के क्या मायने, फायदा किसे? 15 साल पहले बदली थी सत्ता

Voting Trend Surprising Result: महाराष्ट्र चुनाव में 4 प्रतिशत वोटिंग बढ़ने से दोनों गठबंधन की धुकधुकी बढ़ा दी है। प्रदेश में दोनों गठबंधन अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन नतीजे 23 नवंबर को जारी होंगे।
12:06 PM Nov 21, 2024 IST | Rakesh Choudhary
nda vs mva  महाराष्ट्र में ज्यादा वोटिंग के क्या मायने  फायदा किसे  15 साल पहले बदली थी सत्ता
MVA Will form Government

Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में 288 सीटों पर मतदान की प्रकिया पूरी हो चुकी है। ऐसे में अब सभी की नजरें 23 नवंबर को आने वाले नतीजों पर टिकी है। बुधवार को मतदान खत्म होने के बाद जारी हुए विभिन्न एजेंसियों के एग्जिट पोल में कुछ महायुति तो कुछ महाविकास अघाड़ी की सरकार बनते हुए दिखा रहे थे। महाराष्ट्र में इस बार का वोटिंग ट्रेंड कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा है। 288 विधानसभा सीटों पर 65.11 फीसदी मतदान हुआ, जबकि 2019 में 61.4 फीसदी वोटिंग हुई थी। महाराष्ट्र में यह बढ़ी हुई वोटिंग किसके लिए विलेन बनेगी और किसके लिए फायदेमंद? यह तो 23 नवंबर को ही पता चल पाएगा।

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महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा वोटिंग कोल्हापुर जिले में 76.25 फीसदी हुई जबकि सबसे कम मुंबई शहर में 52.07 फीसदी रही। बता दें कि महाराष्ट्र के सियासी इतिहास में अब तक 2 ही मौके ऐसे आए, जब वोटिंग प्रतिशत 65 से ज्यादा रहा। पहला मौका 1995 में आया जब यहां 71.69 प्रतिशत मतदान हुआ और दूसरा मौका 2024 में आया है जब 65.11 प्रतिशत मतदान हुआ है।

मराठावाड़ा में बंपर वोटिंग का फायदा किसको?

चुनाव आयोग के आंकड़ों की मानें तो मराठावाड़ा के जिलों में बंपर वोटिंग हुई है। जबकि मुंबई की सीटों पर कम वोटिंग हुई। मराठा आरक्षण आंदोलन का केंद्र रहे जालना में 7 फीसदी अधिक वोटिंग हुई यहां कुल 72.30 प्रतिशत मतदान हुआ। ऐसे में साफ है कि जिन इलाकों में मराठा आरक्षण आंदोलन हावी रहा, वहां जमकर वोटिंग हुई। महाराष्ट्र में 2004 के चुनाव में 63 फीसदी मतदान हुआ था। 2009 में 59 फीसदी, 2014 में 63 फीसदी, 2019 में 61.4 प्रतिशत और 2024 में 65.11 फीसदी वोटिंग हुई।

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2009 में वोटिंग बढ़ने से बदल गई थी सत्ता

2009 की तुलना में 2014 के चुनाव में वोटिंग बढ़ी तो इसका फायदा बीजेपी को हुआ। उसने पहली बार प्रदेश में अपना सीएम बनाया। इसके बाद 2019 में वोटिंग घट गई। लेकिन इस बार कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा। वहीं बीजेपी को भी नुकसान हुआ, लेकिन दूसरी बार उसने प्रदेश में 100 से अधिक सीटें जीती। हालांकि सीएम के चेहरे पर सहमति नहीं बन पाने के कारण उद्धव ठाकरे ने गठबंधन तोड़ लिया और कांग्रेस के सहयोग से सरकार बना ली। इसके बाद एनसीपी और शिवसेना के दो फाड़ हो गए और इसके बाद की परिस्थितिथियों से सभी लोग वाकिफ है।

ज्यादा वोटिंग से बदल जाती है सत्ता

देश के जिन राज्यों में ज्यादा वोटिंग हुई है, वहां पर सत्ता बदल जाती है। अभी हाल ही हरियाणा में चुनाव हुए और पिछले चुनाव की तरह ही वोटिंग हुई यानि वोटिंग न तो घटी और न ही बढ़ी, इसका फायदा बीजेपी को हुआ और सत्ता में वापसी हो गई। ऐसे में महाराष्ट्र में वोटिंग परसेंटेज बढ़ने से बीजेपी की धुकधुकी बढ़ी हुई है।

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