Maharashtra: BMC के चुनाव की चिंता तय करेगी सीएम का फेस!
संजीव त्रिवेदी, नई दिल्ली
Maharashtra CM: महाराष्ट्र में ऐसा 1972 के बाद पहली बार हुआ है कि किसी दल या सियासी गठबंधन को विधानसभा चुनाव में 200 से ज्यादा सीटें आई हों। लिहाजा, ये उम्मीद की जा रही थी कि जैसे 1972 में 222 का आंकड़ा पाने वाली कांग्रेस को सरकार के गठन में कोई दिक्कत नहीं हुई, कुछ वैसे ही 236 सीटें पाकर महायुति भी बिना देर किए मुख्यमंत्री घोषित करेगी, लेकिन 10 दिन बाद भी सीएम का नाम सामने नहीं आया है। इससे लोगों को दल और गठबंधन का अंतर समझ आने लगा है।
बीजेपी क्यों हुई सतर्क?
बीजेपी 132 सीटें लाकर सबसे बड़ी घटक है और सीएम की कुर्सी पर उसका स्वाभाविक दावा है, लेकिन अब तक महाराष्ट्र की मराठा सियासत में अपने गुणा-गणित को शिंदे और अजित पवार को आउटसोर्स कर रही बीजेपी चुनाव नतीजों के बाद सतर्क हो गई है। अगले मुख्यमंत्री बीजेपी के हों इसमें किसी को दिक्कत नहीं। दिक्कत दरअसल बीजेपी की है कि क्या इसबार जब मैंडेट तगड़ा है, तब भी क्या गैर-मराठा को मुख्यमंत्री बनाया जाए।
क्या चाहता है संघ?
बीजेपी में इसबार ये सोच हावी है कि इस बार भी मराठा समुदाय की अनदेखी सियासी तौर पर सही नहीं होगी। बीजेपी की इस दुविधा ने सरकार के गठन की प्रक्रिया में न केवल देरी कर दी है, बल्कि महाराष्ट्र के सूत्रों की मानें तो संघ और बीजेपी के बीच तनाव की अगली वजह बन गई है। जानकारों के मुताबिक, संघ चाहता है कि नागपुर से आनेवाले संघ की पसंद और बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले देवेंद्र फडणवीस सीएम बनें, लेकिन किसी मराठा को सीएम की कुर्सी से हटाकर एक ब्राह्मण को कुर्सी दिए जाने के सियासी नतीजे को लेकर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व आशंकित है।
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उद्धव ठाकरे को मिल सकता है मौका
इसकी एक बड़ी वजह है अगले साल की शुरुआत में बृहणमुंबई मुनिस्पल कारपोरेशन के दो साल से टलते आ रहे चुनाव। ये चुनाव एकमात्र ऐसा मौका है, जिसमें उद्धव ठाकरे को फिर से खड़े होने का अवसर मिल सकता है। इसीलिए विधानसभा के बाद इस चुनाव में भी बीजेपी को जीत की जरूरत है। डर ये है कि अगर मराठा वोट बैंक एकनाथ शिंदे को पद से हटाए जाने और फडणवीस को बनाए जाने से नाराज हो जाता है तो बीजेपी की मदद में शिंदे या पवार शायद ही आ पाएं। ये बात कि, मराठा सियासत में बीजेपी को जगह बनाने देने में शिंदे और पवार की कोई दिलचस्पी नहीं, बीजेपी बखूबी जानती है। ऐसा में माना ये जा रहा है कि फडणवीस को तमाम दूसरी वजहों के अलावा इस एक वजह के कारण भी पीछे हटना पड़ सकता है।
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बीजेपी BMC चुनाव में आशंकित
ये कहा जाता है कि बीजेपी ने बृहणमुंबई मुनिस्पल कारपोरेशन (BMC) के चुनाव, विधानसभा के बाद कराने में हमेशा इसलिए दिलचस्पी दिखाई है क्योंकि BMC के चुनाव में जीत के प्रति वो हमेशा आशंकित रही है। इस बार उद्धव 95 सीटों पर लड़े। जिसमें से सिर्फ 20 विधायक चुन कर आए हैं, लेकिन उन 20 में से 10 मुंबई से हैं जो शिव सेना (उद्धव) की मुंबई में पकड़ को दर्शाता है। जानकार मानते हैं कि बीएमसी की अगली बड़ी चुनौती के लिए तैयारी ही बीजेपी की प्राथमिकता है। जिसकी अनिवार्य शर्त है कि फडणवीस इस बार भी त्याग करें। मुंबई की सत्ता गलियारों में सीएम फेस के तौर पर बीजेपी के कुछ चुनिंदा मराठा नेताओं के नाम लिए भी जा रहे हैं।
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