फडणवीस का CM बनना NCP के लिए फायदेमंद क्यों? BJP के सामने होगी बड़ी चुनौती
Devendra Fadnavis and Ajit Pawar Maharashtra CM: महाराष्ट्र चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने के बाद महायुति मुख्यमंत्री पद पर विचार कर रही है। महाराष्ट्र का अगला सीएम कौन होगा? यह सवाल कई दिनों से सत्ता के गलियारों में छाया हुआ है। महायुति ने सीएम फेस पर सस्पेंस बना रखा है। कई लोगों का कहना है कि एकनाथ शिंदे फिर से महाराष्ट्र की कमान संभाल सकते हैं, तो ज्यादातर लोग देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर लगाते दिखाई दे रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि महायुति में शामिल अजित पवार की पार्टी भी फडणवीस को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहती है। आखिर इसकी क्या वजह है? आइए समझते हैं...
फडणवीस-पवार का कनेक्शन
देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार एक-दूसरे के साथ अच्छी बॉन्डिंग शेयर करते हैं। 2019 में दोनों ने साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार भी बनाई थी। हालांकि NCP में बंटवारे के कारण इस गठबंधन ने 80 घंटे के अंदर की दम तोड़ दिया था। इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई है, वहीं एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार की NCP को 41 सीटें मिली हैं।
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फणडवीस CM बने तो अजित को होगा फायदा
कई राजनीतिक जानकारों का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस सीएम पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार हैं। वहीं एकनाथ शिंदे और अजित पवार को डिप्टी सीएम का पद मिल सकता है। कई एनसीपी (अजित) नेताओं ने भी फडणवीस को समर्थन देना शुरू कर दिया है। एनसीपी (अजित) के वरिष्ठ नेता छग्गन भुजबल का कहना है कि सीएम पद के लिए फडणवीस को नकारने की कोई वजह नहीं है। मुख्यमंत्री के लिए फडणवीस ही पहली प्राथमिकता होंगे।
शिंदे की वापसी से परहेज क्यों?
अगर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया, तो यह अजित पवार के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है। एकनाथ शिंदे अगर सीएम बनेंगे, तो डिप्टी सीएम का पद महायुति के सबसे बड़े दल बीजेपी को ही मिलेगा। जाहिर है सीटों की गिनती में तीसरे नंबर पर खड़ी एनसीपी भला बीजेपी की बराबरी कैसे करेगी? ऐसे में अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाना और भी ज्यादा पेंचिदा हो जाएगा।
मंत्रालय के बंटवारे में फंसेगा पेंच?
मुख्यमंत्री पद के अलावा महायुति में मंत्रालयों को लेकर भी पेंच फंस सकता है। शिंदे-अजित गुट राज्य के ताकतवर मंत्रालय अपनी पार्टी में रखने की मांग करेंगे। खबरों की मानें तो 132 सीटें लाने वाली बीजेपी आधे मंत्रालय अपने पास रख सकती है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा मंत्रालय किस पार्टी के खाते में जाता है।
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