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Maharashtra में 57 सीटों वाले एकनाथ शिंदे CM की कुर्सी से कैसे चूक गए? जानें इनसाइड स्टोरी

How Eknath Shinde Miss CM Chair:  महाराष्ट्र में सीएम शिंदे 29 महीने बाद सीएम की कुर्सी से उतर गए। पिछले 12 दिनों उनके कई बातें मीडिया में की। ऐसे में आइये जानते हैं ऐसा क्या हुआ कि उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी।
02:34 PM Dec 04, 2024 IST | Rakesh Choudhary
How Eknath Shinde Miss CM Chair
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Maharashtra New CM Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र में बीजेपी विधायक दल की बैठक में देवेंद्र फडणवीस को नेता चुन लिया गया है। ऐसे में नागपुर उत्तर पश्चिम सीट से चार बार के विधायक देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार प्रदेश के सीएम बनने जा रहे हैं। आज महायुति के तीनों नेता सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यपाल के पास जाएंगे। ऐसे में ठीक 5 साल बाद वे एक बार फिर सीएम बनने जा रहे हैं। शिंदे सरकार में नंबर 2 की भूमिका निभाएंगे। इसकी वजह सीटों की संख्या है। 2022 में शिंदे बगावत के बाद बीजेपी के समर्थन से प्रदेश के सीएम बन गए थे। ऐसा क्या हुआ कि शिंदे को 29 महीने बाद सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ गई।

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महाराष्ट्र चुनाव में शिंदे की सेना ने 57 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसमें से 14 विधायक बीजेपी समर्थक हैं। वहीं 6 विधायक तो बीजेपी के ही थे, लेकिन वे शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर मैदान में थे। इनमें राजेंद्र गावित, निलेश राणे, मुरजी पटेल, शाइना एनसी समेत कई विधायक शामिल हैं। बीजेपी ने चुनाव में 4 निर्दलीयों को उतारा था, यह योजना भी बीजेपी की ही थी। ऐसे में अगर शिंदे बगावत करते तो ये सभी विधायक बीजेपी के सपोर्ट में जा सकते थे।

उद्धव ठाकरे के बीजेपी से रिश्ते खराब नहीं

बीजेपी के रिश्ते उद्धव ठाकरे से इतने खराब भी नहीं है। उद्धव कई मौकों पर बीजेपी-संघर की विचारधारा को अपना बताते रहे हैं। उन्हें संघ से कभी कोई समस्या नहीं रही है। हालांकि सत्ता के लिए उनका पाला बदलना बीजेपी को नागवार गुजरा। एकनाथ शिंदे जानते हैं कि उद्धव ठाकरे को ऐसा मौका मिले इससे पहले ही उन्होंने डिप्टी सीएम का पद स्वीकार कर सीएम की कुर्सी से किनारा कर लिया।

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2019 में अजित पवार ने दिया था धोखा

अजित पवार के साथ आना शिंदे के लिए नुकसानदेह रहा। अजित पवार की वजह से शिंदे बीजेपी पर सियासी दबाव नहीं बना पा रहे हैं। हालांकि बीजेपी भी अजित पवार पर इतना भरोसा नहीं करती क्योंकि वे 2019 में एक बार बीजेपी को सपोर्ट देने आए थे, लेकिन जरूरी नंबर नहीं होने के कारण उन्हेें विधानसभा में बहुमत का सामना किए बिना ही इस्तीफा दे दिया था।

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