Happy New Year: 2025 कैसे बनेगा आपके लिए Fruitful!
New Year Resolutions 2025: 31 दिसंबर, 2024 की रात घड़ी जैसे ही 12 बजाएगी, एक नई सुबह का आगाज हो जाएगा। ये नई सुबह आम सुबह से इसलिए अलग है, क्योंकि ये नए साल का पैगाम लेकर आई है। नए साल में बहुत कुछ बदल जाएगा। तारीख बदल जाएगी, कैलेंडर बदल जाएंगे और आपके रेजोल्यूशन भी। पिछले साल की शुरुआत में आपने जो कुछ करने की ठानी होगी, उसके मुकाबले इस बार की लिस्ट या तो थोड़ी लम्बी होगी या बिलकुल अलग।
टेंशन से बचना रॉकेट साइंस नहीं
हर व्यक्ति की अपनी अलग इच्छाएं होती हैं। अलग आकांक्षाएं होती हैं। लिहाजा न्यू ईयर रेजोल्यूशन की लिस्ट भी उसी के अनुरूप होगी, लेकिन इस लिस्ट को कम्पलीट बनाने के लिए इसमें हेल्थ-फिटनेस जैसे शब्दों का होना भी बेहद जरूरी है। इस नए साल पर अपनी सुध लेने का संकल्प लें। केवल फिजिकली ही नहीं मेंटली भी। घूमें-फिरें, दौड़ें-भागें, खुद को फिट रखने के लिए जो कर सकते हैं, वो करें। नए साल में पैसा कितना बढ़ेगा, कोई गारंटी है? लेकिन टेंशन में इजाफे की लगभग गारंटी है। टेंशन या स्ट्रेस बिना बुलाया मेहमान है। आप चाहें न चाहें, उन्हें आना ही है। इसलिए इस साल आपको टेंशन और स्ट्रेस से बचने की स्किल्स डेवलप करनी होगी और यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है। यदि आपके सामने कोई ऐसा व्यक्ति आ जाए, जो आपको नापसंद है, तो आप समझदारी के साथ उससे कैसे डील करते हैं? आप उसे थोड़ी ही अटेंशन देते हैं और फिर अपने को दूसरी जगह इंगेज कर लते हैं, तो बस इस मामले में भी यही करना है। यानी माइंड को डाइवर्ट।
ये भी पढ़ें: दिल्ली की इन 5 जगहों पर पर बिताएं New Year की शाम, यादगार बन जाएगा दिन
फिल्में हो सकती हैं अच्छा ऑप्शन
कई बार आपने महसूस किया होगा कि दिमाग ट्रैफिक की तरह जाम हो जाता है और खिलखिलाहट भरा छोटा सा ब्रेक उसे फिर से एक्टिव कर देता है। आपको बस उस खिलखिलाहट को ढूंढना है और इसके लिए फिल्में भी एक अच्छा ऑप्शन हैं। फिल्में देखते हैं, तो उसे हफ्ते-10 दिन में एक बार की फ्रीक्वेंसी पर लेकर आइए। नहीं देखते तो देखने की आदत बनाइए।
ये भी पढ़ें: Happy New Year 2025: 31 दिसंबर की रात इन मैसेज से अपने करीबियों को करें न्यू ईयर विश
पुष्पा 2 बेहतरीन उदाहरण
तमाम शोध बताते हैं कि फिल्में स्ट्रेस बस्टर के रूप में काम करती हैं। पॉकेट को हल्की करके यदि टेंशन-स्ट्रेस के लेवल को कम किया जा सकता है, तो इसमें बुराई ही क्या है। इसके साथ ही फिल्में कई सीख भी दे जाती हैं। उदाहरण के लिए हाल ही में आई 'पुष्पा 2' बहुत कुछ सिखाती है- ट्रस्ट बिल्डिंग, रिश्तों का महत्व, जोखिम लेने के फायदे, फॉरवर्ड प्लानिंग और डिटर्मिनेशन। पुष्पा उर्फ अल्लू अर्जुन का अपने कर्मचारियों को छुड़ाने के लिए पुलिस स्टेशन जाना और लाखों रुपए खर्च करना, रिश्तों में विश्वास और भरोसा दर्शाता है। फिर वो रिश्ता दोस्ती का हो या एम्प्लॉयर-एम्प्लोई का। उसका अपनी चचेरी बहन को बचाने के लिए सबकुछ दांव पर लगा देना रिश्तों के महत्व की सीख देता है। एक सामान्य नेता को CM की कुर्सी पर बैठाने का फैसला, रिस्क लेने के महत्व को रेखांकित करता है। तमाम बाधाओं के बीच अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचना, सटीक प्लानिंग और एक मजदूर से रईस बनने तक का उसका सफर डिटर्मिनेशन है।
इस तरह आएंगे अच्छे रिजल्ट
कहने का मतलब यह नहीं है कि आप पुष्पा के गलत कामों से सीखें, आपको बस गलत में से अच्छा ढूंढ निकालना है। जब अच्छा ढूंढ निकालेंगे, तो अच्छा करेंगे और जब अच्छा करेंगे तो रिजल्ट भी अच्छे ही आएंगे और इस 'अच्छे' से आपको कुछ देर के लिए ही सही, लेकिन टेंशन और स्ट्रेस से मुक्ति मिलेगी। जो फिजिकली और मेंटली फिट रहने के लिए जरूरी है। तो मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि आपकी 2025 की रेजोल्यूशन लिस्ट में हेल्थ टॉप पर होनी चाहिए, क्योंकि चमचमाती गाड़ी भी बिना दमदार इंजन के दूर नहीं जा सकती।